नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में सीट विस्तार को लेकर विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि यह प्रक्रिया हाइब्रिड मोड में की जा सकती है। यह सुझाव एक पोस्ट-बजट वेबिनार के दौरान सामने आया, जिसमें देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया।
हाइब्रिड मोड से बढ़ेगी पहुंच
वेबिनार के दौरान शिक्षाविदों ने कहा कि हाइब्रिड मोड यानी ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा का मिश्रण अपनाने से आईआईटी में अधिक छात्रों को प्रवेश देने की संभावना बढ़ सकती है। इससे संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव भी कम होगा और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।
बजट में शिक्षा पर जोर
केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट 2025 में उच्च शिक्षा के विस्तार और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। सरकार ने डिजिटल शिक्षा और ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म को मजबूत करने के लिए भी फंड आवंटित किया है।
विशेषज्ञों की राय
आईआईटी के वरिष्ठ प्रोफेसरों और तकनीकी शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पारंपरिक सीट विस्तार में बुनियादी ढांचे और संसाधनों की बड़ी आवश्यकता होती है, लेकिन हाइब्रिड मोड के माध्यम से बिना अतिरिक्त लागत के अधिक छात्रों को अवसर दिया जा सकता है।
एक आईआईटी प्रोफेसर ने कहा, “ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और डिजिटल लर्निंग टूल्स का उपयोग करके हम आईआईटी शिक्षा को और अधिक छात्रों तक पहुंचा सकते हैं। इससे न केवल सीटें बढ़ेंगी, बल्कि छात्रों को लचीलापन भी मिलेगा।”
सरकार की पहल
सरकार ने पहले ही ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। आईआईटी में हाइब्रिड मोड लागू करने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे और संसाधनों पर काम किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह मॉडल सफल होता है, तो आने वाले वर्षों में आईआईटी में सीटें बढ़ाने की प्रक्रिया और आसान हो जाएगी।
निष्कर्ष
आईआईटी में सीट विस्तार को लेकर हाइब्रिड मोड का सुझाव सरकार और छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इससे उच्च शिक्षा अधिक समावेशी बनेगी और संसाधनों के सीमित होने की समस्या भी हल हो सकती है। अब देखना होगा कि सरकार और आईआईटी प्रशासन इस सुझाव को कितनी
तेजी से लागू करते हैं।
