केरल में निपाह वायरस का खतरा फिर से बढ़ गया है, जिससे राज्य सरकार ने पांच जिलों—कोझिकोड, मलप्पुरम, वायनाड, कन्नूर और एर्नाकुलम—को उच्च जोखिम वाले क्षेत्र घोषित किया है। इन जिलों में स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है और संक्रमण की रोकथाम के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं।
निपाह वायरस के लक्षण:
निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति में आमतौर पर संक्रमण के 4 से 14 दिनों के भीतर लक्षण प्रकट होते हैं। प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:
बुखार
सिरदर्द
खांसी
गले में खराश
सांस लेने में कठिनाई
उल्टी
गंभीर मामलों में, मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफलाइटिस) हो सकती है, जिससे मानसिक भ्रम, दौरे और कोमा जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं。
निपाह वायरस के कारण:
निपाह वायरस एक जूनोटिक वायरस है, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। मुख्यतः यह वायरस फलों का सेवन करने वाले चमगादड़ों (फ्रूट बैट्स) में पाया जाता है। संक्रमित जानवरों या उनके शरीर से निकले तरल पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से भी यह फैल सकता है। संक्रमित चमगादड़ों के यूरिन या लार से दूषित फल खाने से भी यह इंसानों में फैल सकता है। इसके अलावा, यह सुअर, बकरी, घोड़े और कुत्तों के जरिए भी फैल सकता है。
निपाह वायरस का उपचार:
वर्तमान में निपाह वायरस के लिए कोई विशेष एंटीवायरल दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। उपचार में मुख्यतः लक्षणों का प्रबंधन और गहन चिकित्सा देखभाल शामिल है। मरीज को पर्याप्त आराम, हाइड्रेशन और आवश्यकतानुसार सांस लेने में सहायता प्रदान की जाती है। संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेट करना और सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग करना आवश्यक है।
सावधानियां:
संक्रमित क्षेत्रों में फलों का सेवन करते समय सावधानी बरतें, विशेषकर ऐसे फल जो चमगादड़ों द्वारा संक्रमित हो सकते हैं।
संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचें और स्वास्थ्य निर्देशों का पालन करें।
स्वास्थ्य कर्मियों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) का उपयोग करना चाहिए।
राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी निर्देशों का पालन करके हम निपाह वायरस के प्र
सार को रोकने में सहायता कर सकते हैं।
