
नई दिल्ली: वैश्विक व्यापारिक तनाव और टैरिफ युद्धों का प्रभाव अब विलय और अधिग्रहण (M&A) के प्रवाह पर पड़ सकता है। निवेश बैंकिंग क्षेत्र की प्रमुख फर्म रोथ्सचाइल्ड एंड कंपनी के वरिष्ठ कार्यकारी, रवि सचाक ने इस ओर संकेत दिया है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध और अन्य देशों द्वारा उठाए जा रहे टैरिफ संबंधी कदम वैश्विक निवेश को प्रभावित कर सकते हैं। इससे न केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों की रणनीतियों में बदलाव होगा, बल्कि M&A गतिविधियों में भी गिरावट देखी जा सकती है।
वैश्विक M&A प्रवाह पर प्रभाव
सचाक के अनुसार, व्यापार प्रतिबंधों और टैरिफ में वृद्धि से निवेशकों के लिए अनिश्चितता बढ़ गई है। इससे कंपनियां लंबी अवधि की योजनाओं पर पुनर्विचार कर रही हैं, खासकर सीमाओं के पार किए जाने वाले अधिग्रहणों और विलयों में।
“कई कंपनियां अब अपनी विस्तार रणनीतियों पर दोबारा विचार कर रही हैं और निवेश को लेकर अधिक सतर्क हो गई हैं। यह प्रवृत्ति वैश्विक M&A प्रवाह को धीमा कर सकती है,” सचाक ने कहा।
अवसर और चुनौतियां
हालांकि, सचाक ने यह भी कहा कि इस स्थिति में कुछ सेक्टरों के लिए नए अवसर खुल सकते हैं। खासकर, टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अधिग्रहण गतिविधियों में मजबूती देखी जा सकती है।
इसके बावजूद, टैरिफ युद्ध से प्रभावित क्षेत्रों, जैसे कि मैन्युफैक्चरिंग और ऑटोमोबाइल सेक्टर, को अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
अर्थव्यवस्था पर असर
विश्लेषकों का मानना है कि अगर व्यापार युद्ध जारी रहता है, तो इसका असर केवल M&A गतिविधियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि पर भी पड़ेगा।
“अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों और नीतियों में स्थिरता लाने की जरूरत है ताकि निवेशकों को निश्चितता मिल सके और M&A बाजार फिर से गति पकड़ सके,” सचाक ने कहा।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकारों और नीतिनिर्माताओं को व्यापार प्रतिबंधों को कम करने और निवेश को बढ़ावा देने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था
को स्थिर रखा जा सके।
