नई दिल्ली, 8 मार्च 2025: वैज्ञानिकों ने मानव ऊतकों में नैनोप्लास्टिक कणों की उपस्थिति की पुष्टि की है, जिससे स्वास्थ्य पर इसके संभावित प्रभावों को लेकर चिंता बढ़ गई है। एक हालिया शोध में इन सूक्ष्म प्लास्टिक कणों को रक्त, हृदय और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों में पाया गया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
क्या हैं नैनोप्लास्टिक और यह शरीर में कैसे पहुंचते हैं?
नैनोप्लास्टिक वे प्लास्टिक कण होते हैं जिनका आकार 1 माइक्रोमीटर से भी कम होता है। ये कण दूषित पानी, हवा, प्लास्टिक पैकेजिंग वाले खाद्य पदार्थों और सौंदर्य प्रसाधनों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब प्लास्टिक टूटते हैं, तो वे अत्यधिक छोटे कणों में परिवर्तित हो जाते हैं, जो हवा में घुलकर या भोजन और पानी में मिलकर शरीर के अंदर जा सकते हैं।
नैनोप्लास्टिक के संभावित स्वास्थ्य प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, नैनोप्लास्टिक शरीर में प्रवेश करने के बाद कोशिकाओं और ऊतकों तक पहुंच सकते हैं, जिससे सूजन, विषाक्तता और यहां तक कि डीएनए क्षति जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ अध्ययनों में यह संकेत मिला है कि नैनोप्लास्टिक तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं।
वैज्ञानिकों की चेतावनी और आगे की राह
वैज्ञानिकों का कहना है कि नैनोप्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल उपाय किए जाने चाहिए। सरकारों और औद्योगिक संगठनों को प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन पर अधिक ध्यान देने और इसके सुरक्षित निपटान के लिए नई तकनीकों को अपनाने की जरूरत है।
इस मुद्दे पर शोध जारी है, और वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि नैनोप्लास्टिक का मानव स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव कितना गंभीर हो सकता है। तब तक, विशेषज्ञ लोगों को प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और सुरक्षित विकल्पों को अपनाने की सलाह दे
रहे हैं।
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