—

दमिश्क/नई दिल्ली: सीरिया में अलवी समुदाय एक भयानक संकट से गुजर रहा है। गृहयुद्ध और कट्टरपंथी समूहों के हमलों के बीच, इस समुदाय के लोगों को निशाना बनाकर मारा जा रहा है। अब, अलवी नेता और प्रवासी समुदाय भारत से मानवीय और कूटनीतिक मदद की अपील कर रहे हैं।
अलवी समुदाय पर बढ़ता संकट
सीरिया में जारी संघर्ष के कारण अलवी समुदाय वर्षों से हिंसा और अत्याचार झेल रहा है। यह समुदाय राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थक माना जाता है, जिससे वह विद्रोही गुटों और इस्लामी चरमपंथियों के निशाने पर आ गया है। हाल ही में, विभिन्न विद्रोही संगठनों ने अलवी बहुल इलाकों पर हमले तेज कर दिए हैं, जिससे हजारों लोग मारे जा चुके हैं और लाखों बेघर हो गए हैं।
भारत से अपील
अलवी समुदाय के कई प्रतिनिधियों ने भारत से मानवीय सहायता, शरण और कूटनीतिक हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि भारत हमेशा से धार्मिक सहिष्णुता और शांति का समर्थक रहा है, और ऐसे में वह सीरिया के इस अल्पसंख्यक समुदाय की मदद कर सकता है।
सीरियाई शरणार्थी समूहों के एक प्रवक्ता ने कहा, “भारत के ऐतिहासिक रूप से अरब दुनिया के साथ मजबूत संबंध रहे हैं। हम भारत से अपील करते हैं कि वह हमारे संकट को समझे और हमें सुरक्षा प्रदान करने में मदद करे।”
भारत की भूमिका
भारत पहले भी सीरिया के युद्धग्रस्त इलाकों में मानवीय सहायता भेज चुका है, लेकिन क्या वह इस बार और अधिक ठोस कदम उठाएगा? विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि भारत इस मामले में संतुलित दृष्टिकोण अपनाएगा।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर भी दबाव बढ़ रहा है कि वह सीरिया में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत इस मानवीय संकट को लेकर
क्या रुख अपनाता है।
