नई दिल्ली – एक नए शोध में यह दावा किया गया है कि पेयजल में फ्लोराइड की उपस्थिति बच्चों की संज्ञानात्मक क्षमता (कॉग्निटिव एबिलिटी) पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। अध्ययन के अनुसार, अधिक फ्लोराइड सेवन से बच्चों में बौद्धिक विकास प्रभावित हो सकता है, जिससे उनकी सोचने-समझने की क्षमता कमजोर हो सकती है।
यह शोध हाल ही में प्रकाशित हुआ है और इसमें बताया गया है कि जिन इलाकों में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होती है, वहां बच्चों की आईक्यू (इंटेलिजेंस क्वोटिएंट) में गिरावट देखी गई है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक अधिक फ्लोराइड युक्त पानी पीने से न्यूरोलॉजिकल विकास प्रभावित हो सकता है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
अधिक फ्लोराइड स्तर वाले क्षेत्रों में बच्चों की संज्ञानात्मक क्षमता कमजोर पाई गई।
न्यूरोडेवलपमेंटल देरी (मस्तिष्कीय विकास में देरी) का खतरा बढ़ सकता है।
फ्लोराइड की अधिकता से न्यूरोटॉक्सिसिटी (तंत्रिका विषाक्तता) का खतरा रहता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, फ्लोराइड की सीमित मात्रा शरीर के लिए लाभकारी हो सकती है, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है। शोधकर्ताओं ने इस विषय पर और अध्ययन की आवश्यकता जताई है ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि सुरक्षित फ्लोराइड स्तर क्या होना चाहिए।
सरकार और वैज्ञानिकों की राय
कुछ देशों ने पहले ही पेयजल में फ्लोराइड की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए नीतियां बनाई हैं। वहीं, भारत जैसे देशों में अभी इस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।
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