दक्षिण कोरियाई तकनीकी कंपनी सैमसंग भारत में ₹4,500 करोड़ (लगभग $520 मिलियन) के टैक्स मांग के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही है। कंपनी पर आरोप है कि उसने 2018 से 2021 के बीच मोबाइल टावरों में उपयोग होने वाले ‘रिमोट रेडियो हेड’ (RRH) उपकरणों के आयात को गलत तरीके से वर्गीकृत किया, जिससे 10-20% की कस्टम ड्यूटी से बचा गया।
सैमसंग ने मुंबई स्थित कस्टम्स, एक्साइज और सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (CESTAT) में 281 पन्नों की अपील दायर की है, जिसमें दावा किया गया है कि भारतीय अधिकारियों को इस वर्गीकरण पद्धति की जानकारी थी, क्योंकि रिलायंस जियो ने 2017 तक समान उपकरणों का इसी तरह आयात किया था। सैमसंग का कहना है कि 2017 में टैक्स अधिकारियों ने रिलायंस को चेतावनी दी थी, लेकिन यह जानकारी सैमसंग को नहीं दी गई, और अधिकारियों ने 2018 से 2021 के बीच इस मुद्दे पर कोई आपत्ति नहीं जताई।
टैक्स अधिकारियों ने जनवरी 2025 में सैमसंग पर ₹4,500 करोड़ के टैक्स और ₹675 करोड़ ($81 मिलियन) के व्यक्तिगत जुर्माने का आदेश दिया, जिससे कुल मांग ₹5,175 करोड़ ($601 मिलियन) हो गई। यह राशि भारत में सैमसंग के पिछले वर्ष के ₹7,600 करोड़ ($955 मिलियन) के शुद्ध लाभ का एक बड़ा हिस्सा है।
सैमसंग का आरोप है कि टैक्स आदेश जल्दबाजी में पारित किया गया और उन्हें अपनी बात रखने का उचित अवसर नहीं दिया गया। कंपनी का कहना है कि उनके व्यापारिक अभ्यास उद्योग मानकों के अनुरूप थे और अधिकारियों को ज्ञात थे।
यह मामला भारत में विदेशी कंपनियों के बढ़ते टैक्स विवादों की श्रृंखला में एक और उदाहरण है, जिसमें वोक्सवैगन पर भी $1.4 बिलियन का टैक्स मांग का मामला चल रहा है।
