विश्व डिम्बग्रंथि कैंसर दिवस: क्या देर से या न होने वाली गर्भावस्था बढ़ा सकती है जोखिम?
हर साल 8 मई को विश्व डिम्बग्रंथि कैंसर दिवस (World Ovarian Cancer Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस घातक बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना है। विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं में डिम्बग्रंथि (ओवरी) कैंसर का खतरा कुछ जीवनशैली और प्रजनन संबंधी कारकों से प्रभावित हो सकता है। इनमें से एक महत्वपूर्ण कारक है – गर्भावस्था की देरी या संतान न होना।
डॉक्टरों का मानना है कि जो महिलाएं कभी गर्भवती नहीं होतीं या बहुत देर से गर्भवती होती हैं, उनमें डिम्बग्रंथि कैंसर का जोखिम थोड़ा बढ़ सकता है। इसका कारण यह है कि हर माह ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्ग) की प्रक्रिया से ओवरी की कोशिकाओं पर तनाव पड़ता है। बार-बार ओव्यूलेशन से कोशिकाओं में बदलाव की संभावना बढ़ जाती है, जिससे कैंसर का खतरा हो सकता है।
गर्भावस्था, स्तनपान और ओरल गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग ओव्यूलेशन को रोकता है, जिससे ओवरी पर पड़ने वाला तनाव कम होता है और इससे कैंसर की संभावना घट सकती है।
डॉ. नीलिमा वर्मा, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ, कहती हैं, “डिम्बग्रंथि कैंसर एक ‘साइलेंट किलर’ है क्योंकि इसके लक्षण प्रारंभ में स्पष्ट नहीं होते। महिलाओं को चाहिए कि वे पेट में सूजन, लगातार थकावट, भूख न लगना या मासिक धर्म में अनियमितता जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें।”
हालांकि गर्भावस्था न होना अकेले डिम्बग्रंथि कैंसर का कारण नहीं है। पारिवारिक इतिहास, उम्र, हार्मोनल बदलाव और अनुवांशिक कारक भी इसमें भूमिका निभाते हैं।
इस विश्व डिम्बग्रंथि कैंसर दिवस पर, महिलाओं से अपील है कि वे अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें, नियमित जांच कराएं और किसी भी असामान्य लक्षण को नज़रअंदाज़ न करें।
