Source-Economic Help
नई दिल्ली: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को दिए जाने वाले ऋण प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया। सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत की यह अनुपस्थिति प्रक्रिया का हिस्सा थी और इसे जानबूझकर की गई निष्क्रियता नहीं माना जाना चाहिए।
सूत्रों ने स्पष्ट किया कि IMF में वोटिंग प्रक्रिया के तहत कई बार सभी सदस्य देशों को सीधे तौर पर मतदान करने का अवसर नहीं मिलता है। विशेष रूप से जब कार्यकारी बोर्ड की बैठकों में सीमित सदस्य भाग लेते हैं, तब प्रतिनिधित्व संबंधित समूहों के माध्यम से होता है।
भारत IMF के कार्यकारी बोर्ड में एक बहु-देशीय निर्वाचन समूह का हिस्सा है, जिसमें अन्य देशों के साथ उसका प्रतिनिधित्व साझा होता है। इस बार प्रतिनिधित्व करने वाले देश ने भारत की ओर से मतदान नहीं किया, जिससे भारत का वोट औपचारिक रूप से दर्ज नहीं हो सका।
पाकिस्तान को IMF द्वारा जारी किया गया यह ऋण पैकेज उसकी आर्थिक स्थिरता के लिए अहम माना जा रहा है, लेकिन भारत की गैर-हाजिरी ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दे दिया है।
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह तकनीकी मामला है और भारत ने न तो प्रस्ताव का समर्थन किया और न ही उसका विरोध किया।
