SOURCE India.com
नई दिल्ली: मार्च 2022 में भारत की ओर से गलती से पाकिस्तान की सीमा में दागी गई ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल को उस समय एक “तकनीकी खामी” बताया गया था। लेकिन तीन साल बाद, इस घटना पर फिर से बहस छिड़ गई है। कुछ विशेषज्ञ और रक्षा विश्लेषक अब यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह मिसाइल “जानबूझकर” दागी गई थी ताकि पाकिस्तान की वायु सुरक्षा और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं की परीक्षा ली जा सके।
पाकिस्तान ने उस समय दावा किया था कि उसकी वायु सेना ने मिसाइल की निगरानी की, लेकिन कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की गई क्योंकि मिसाइल “गैर-आक्रामक” थी और किसी बड़ी तबाही से बचा गया। हालांकि, इस चूक ने पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली की क्षमता पर कई सवाल खड़े कर दिए थे।
अब जब इस घटना को तीन साल हो चुके हैं, विश्लेषकों का मानना है कि इस “गलती” ने अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की सैन्य तैयारियों और उसके आधारभूत ढांचे की कमजोरियों को उजागर कर दिया। वहीं, भारत ने इस घटना के बाद संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर दिया और जांच का आदेश दिया, जिससे यह संकेत देने की कोशिश की गई कि यह गैर-इरादतन घटना थी।
लेकिन रक्षा मामलों के जानकारों का एक वर्ग मानता है कि यह एक “सैद्धांतिक परीक्षण” हो सकता है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि पाकिस्तान ब्रह्मोस जैसी मिसाइल के खिलाफ किस तरह की प्रतिक्रिया देता है। यदि ऐसा है, तो यह न केवल पाकिस्तान के लिए रणनीतिक रूप से शर्मनाक है, बल्कि उसके सैन्य ठिकानों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंता पैदा करता है।
हालांकि भारत सरकार ने अब तक किसी भी तरह की “जानबूझी परीक्षण” की पुष्टि नहीं की है, लेकिन इस चर्चा ने क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन को लेकर फिर से बहस को हवा दे दी है।
