SOURCE The Economics Time
नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने आज एक बड़ा निर्णय लेते हुए रेपो रेट में ‘जम्बो’ कटौती की घोषणा की है। अब रेपो रेट 6.50% से घटाकर 5.50% कर दिया गया है। यह कदम देश की आर्थिक सुस्ती और महंगाई को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह निर्णय बहुमत से लिया गया और इसका उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू मांग में कमी को देखते हुए यह कटौती आवश्यक थी।
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। इसमें कटौती से बैंकों के लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाता है, जिससे वे आम जनता और व्यापारों को सस्ते दरों पर ऋण दे सकते हैं। इससे बाजार में तरलता बढ़ती है और आर्थिक गतिविधियों को गति मिलती है।
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय विशेष रूप से छोटे उद्योगों, उपभोक्ता ऋण, और आवास ऋण को बढ़ावा देने में मदद करेगा। साथ ही, इससे महंगाई पर भी अंकुश लगाने में सहायता मिल सकती है, यदि इसे सावधानी से लागू किया जाए।
आगे की राह
आरबीआई ने यह भी संकेत दिया है कि यदि आवश्यक हुआ तो भविष्य में और कदम उठाए जा सकते हैं। फिलहाल, बाजारों और निवेशकों ने इस फैसले का स्वागत किया है और शेयर बाजार में सकारात्मक रुख देखने को मिला है।
