SOURCE NDTV World
नई दिल्ली: मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक चिंताएं बढ़ा दी हैं। दोनों देशों के बीच हालिया सैन्य हमलों के बाद, दुनिया भर में इसके गंभीर परिणामों को लेकर आशंकाएं गहरा गई हैं। यह संघर्ष केवल दो देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं जो वैश्विक अर्थव्यवस्था, यात्रा और भू-राजनीति को प्रभावित करेंगे। आइए जानते हैं इस संघर्ष के 5 प्रमुख प्रभावों को:
1. हवाई क्षेत्र में भारी व्यवधान:
इजरायल के ईरान पर हमले के बाद, कई देशों ने अपने हवाई क्षेत्रों को बंद कर दिया है या उड़ान मार्गों को बदल दिया है। ईरान, इराक, जॉर्डन और सीरिया जैसे देशों ने अपने हवाई क्षेत्रों को वाणिज्यिक उड़ानों के लिए बंद कर दिया है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर भारी असर पड़ा है। फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइटों के अनुसार, यूरोप से एशिया तक जाने वाली अधिकांश उड़ानें अब ईरान के हवाई क्षेत्र से बच रही हैं। इससे उड़ानों का समय बढ़ रहा है, ईंधन की लागत में वृद्धि हो रही है और यात्रियों को असुविधा हो रही है। एयर इंडिया जैसी कई एयरलाइंस को अपनी उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं या उन्हें वापस भेजना पड़ा है। यह व्यवधान वैश्विक विमानन उद्योग के लिए लाखों डॉलर का नुकसान पहुंचा सकता है।
2. तेल कीमतों में उछाल:
इजरायल-ईरान संघर्ष ने वैश्विक तेल बाजार को बुरी तरह प्रभावित किया है। हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 9% से अधिक का उछाल देखा गया। ब्रेंट क्रूड की कीमतें $6 प्रति बैरल से अधिक बढ़कर $78 प्रति बैरल के पांच महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। ईरान दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादकों में से एक है और यह होर्मुज जलडमरूमध्य के उत्तरी किनारे पर स्थित है, जिसके माध्यम से प्रति दिन 20 मिलियन बैरल से अधिक तेल का व्यापार होता है। यदि संघर्ष बढ़ता है और यह जलमार्ग बाधित होता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति में भारी कमी आ सकती है, जिससे कीमतें और अधिक बढ़ सकती हैं और दुनिया भर में मुद्रास्फीति का खतरा बढ़ सकता है।
3. पूर्ण युद्ध का खतरा और क्षेत्रीय अस्थिरता:
इजरायल और ईरान के बीच मिसाइल हमलों के आदान-प्रदान ने मध्य पूर्व में पूर्ण युद्ध के जोखिम को बढ़ा दिया है। इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने का दावा किया है, जबकि ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई की है। इस संघर्ष के बढ़ने से क्षेत्र के अन्य देश भी इसमें शामिल हो सकते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। हमास और हिजबुल्लाह जैसे ईरान समर्थित समूहों की संलिप्तता से कई मोर्चों पर युद्ध छिड़ सकता है, जिससे पूरे क्षेत्र में अनिश्चितता और हिंसा बढ़ जाएगी।
4. वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर:
तेल की कीमतों में वृद्धि और हवाई क्षेत्र में व्यवधान के अलावा, यह संघर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डालेगा। आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित हो सकती हैं, जिससे वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी और वैश्विक मुद्रास्फीति में वृद्धि होगी। निवेशक सुरक्षित ठिकानों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट देखी जा रही है। भारत जैसे देश जो कच्चे तेल का बड़ा आयात करते हैं, उन पर इसका सीधा असर पड़ेगा, जिससे महंगाई बढ़ सकती है और आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है।
5. परमाणु हथियारों की दौड़ की आशंका:
इजरायल ने ईरान के परमाणु स्थलों को निशाना बनाने की बात कही है। यदि यह संघर्ष बढ़ता है और ईरान को लगता है कि उसकी परमाणु सुविधाओं पर और हमले हो सकते हैं, तो वह अपने परमाणु कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाने का प्रयास कर सकता है। इससे मध्य पूर्व में परमाणु हथियारों की दौड़ शुरू होने की आशंका बढ़ जाएगी, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा को गंभीर खतरा होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए है और सभी पक्षों से संयम बरतने का आह्वान कर रहा है।
