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रिलायंस जियो का बहुप्रतीक्षित आईपीओ टल गया है। सूत्रों के अनुसार, अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो 2025 में सूचीबद्ध नहीं होगी।

नई दिल्ली: अरबपति मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली टेलीकॉम और डिजिटल दिग्गज रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स ने अपना बहुप्रतीक्षित आईपीओ (Initial Public Offering) टाल दिया है। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने 2025 में लिस्टिंग की अपनी योजना को रद्द कर दिया है। यह भारत के सबसे अनुमानित शेयर पेशकशों में से एक थी, जिसकी वैल्यूएशन विश्लेषकों द्वारा 100 अरब डॉलर से अधिक आंकी गई थी।

रॉयटर्स के अनुसार, इस मामले से परिचित दो लोगों ने बताया कि रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स ने इस साल आईपीओ लाने का इरादा छोड़ दिया है। सूत्रों ने गोपनीयता के चलते अपनी पहचान उजागर नहीं की। उनका कहना है कि कंपनी अपने कारोबार को और अधिक ‘मैच्योर’ करना चाहती है, ताकि लिस्टिंग से पहले उसकी वैल्यूएशन और बढ़ सके।

एक सूत्र ने बताया कि “जियो (आईपीओ) इस साल नहीं होने वाला है, यह संभव ही नहीं है। कंपनी चाहती है कि कारोबार और अधिक परिपक्व हो।”

जियो अपनी टेलीकॉम व्यवसाय के लिए उच्च राजस्व और एक बड़ा ग्राहक आधार प्राप्त करना चाहता है, और अपनी अन्य डिजिटल पेशकशों का विस्तार करना चाहता है, ताकि आईपीओ से पहले इसकी वैल्यूएशन और बढ़ सके। रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स के नवीनतम वार्षिक राजस्व 17.6 अरब डॉलर का लगभग 80 प्रतिशत उसके टेलीकॉम व्यवसाय – रिलायंस जियो इन्फोकॉम से आया है, जो भारत का सबसे बड़ा खिलाड़ी है।

कंपनी ने अभी तक संभावित शेयर बाजार पेशकश पर चर्चा के लिए किसी बैंकर की नियुक्ति नहीं की है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आईपीओ अभी दूर की कौड़ी है।

मुकेश अंबानी ने 2019 में कहा था कि जियो पांच साल के भीतर लिस्टिंग की दिशा में आगे बढ़ेगी। पिछले साल भी रॉयटर्स ने बताया था कि रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स के लिए 2025 में मुंबई लिस्टिंग का लक्ष्य रखा गया था, जिसका उद्देश्य भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ बनना था।

जियो, जिसके निवेशकों में गूगल और मेटा जैसे दिग्गज शामिल हैं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए एनवीडिया के साथ भी साझेदारी कर रहा है। कंपनी आगामी महीनों में भारत में एलन मस्क की स्टारलिंक इंटरनेट सेवा के साथ भी मुकाबला करने के लिए तैयार है।

माना जा रहा है कि रिलायंस रिटेल का आईपीओ भी 2027 या 2028 से पहले होने की संभावना नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी अपने व्यवसायों को मजबूत करने और उच्च वैल्यूएशन हासिल करने के लिए यह रणनीतिक देरी कर रही है।

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