SOURCE The Hindu
मुंबई: 18 साल पहले मुंबई को दहला देने वाले 7/11 ट्रेन धमाकों के मामले में आज बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ अपना मामला साबित करने में “पूरी तरह विफल” रहा।
यह फैसला उन परिवारों के लिए एक झटका है जिन्होंने इस भयानक त्रासदी में अपने प्रियजनों को खोया था, वहीं आरोपियों और उनके परिवारों के लिए यह 18 साल की कानूनी लड़ाई के बाद मिली राहत है।
न्यायमूर्ति [न्यायाधीश का नाम, यदि उपलब्ध हो] और न्यायमूर्ति [दूसरे न्यायाधीश का नाम, यदि उपलब्ध हो] की खंडपीठ ने अपने विस्तृत फैसले में अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों की कड़ी जांच की। अदालत ने पाया कि पेश किए गए सबूत विश्वसनीय नहीं थे और उनमें आरोपियों को सीधे तौर पर अपराध से जोड़ने वाले ठोस प्रमाणों की कमी थी।
विशेष रूप से, अदालत ने गवाहों की गवाही में विसंगतियों और फोरेंसिक साक्ष्य की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए। बचाव पक्ष के वकीलों ने तर्क दिया था कि जांच एजेंसी ने अपनी जांच में कई खामियां की थीं और आरोपियों को गलत तरीके से फंसाया गया था।
इन धमाकों में 180 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे, जब मुंबई की लोकल ट्रेनों में सिलसिलेवार सात बम विस्फोट हुए थे। इस घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना गया था।
निचली अदालत ने पहले इस मामले में कई आरोपियों को दोषी ठहराया था और कुछ को मौत की सजा भी सुनाई थी। हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट के आज के फैसले ने उस निर्णय को पलट दिया है।
इस फैसले के बाद, अब देखना होगा कि महाराष्ट्र सरकार और जांच एजेंसियां आगे क्या कदम उठाती हैं। पीड़ितों के परिवारों और आम जनता के बीच इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोगों ने न्याय प्रणाली पर विश्वास व्यक्त किया है, जबकि अन्य ने निष्पक्ष जांच और न्याय सुनिश्चित करने में विफल रहने पर चिंता व्यक्त की है।
