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नई दिल्ली: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर संसद के आगामी सत्र में गहमा-गहमी बढ़ने वाली है। सरकार ने घोषणा की है कि 29 जुलाई से इस महत्वपूर्ण सैन्य अभियान पर दोनों सदनों में कुल 16 घंटे की लंबी चर्चा होगी। यह निर्णय विपक्षी दलों की लगातार मांग के बाद आया है, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़े विभिन्न पहलुओं और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता के दावों पर सरकार से स्पष्टीकरण चाहते हैं।
यह चर्चा मुख्य रूप से अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के अंदर चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर केंद्रित होगी। विपक्षी दलों ने सरकार पर इस मुद्दे पर पूरी जानकारी न देने का आरोप लगाया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बहस में व्यक्तिगत रूप से जवाब देने की मांग की है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को सर्वदलीय बैठक के बाद कहा था कि सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, बशर्ते यह सदन के नियमों और परंपराओं के अनुसार हो। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के कथित मध्यस्थता के दावों पर भी सरकार उचित जवाब देगी।
राज्यसभा में मंगलवार को इस मुद्दे पर लगातार हंगामे के बाद 16 घंटे की चर्चा के लिए सहमति बनी है। विपक्षी सांसदों ने बहस की तत्काल मांग करते हुए सदन की कार्यवाही को बाधित किया था। लोकसभा में भी पहले दिन से ही इस मुद्दे पर गतिरोध देखने को मिल रहा है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ 7 मई, 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू किया गया था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। इस ऑपरेशन में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के अंदर स्थित आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। सरकार का दावा है कि इस ऑपरेशन ने भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया और आतंक के खिलाफ उसकी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को मजबूत किया।
हालांकि, इस ऑपरेशन को लेकर कई विवाद भी सामने आए हैं। हाल ही में, इंडोनेशिया में भारतीय रक्षा अताशे की टिप्पणियों को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय वायुसेना को हुए नुकसान का जिक्र किया था। इसके अलावा, गूगल अर्थ की नई इमेजरी ने भी कुछ विवादों को जन्म दिया है, जो कथित तौर पर पाकिस्तान के किरना हिल्स में एक मिसाइल हमले का संकेत देती है, जहां पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार का एक हिस्सा होने का अनुमान है।
यह 16 घंटे की चर्चा संसद के मानसून सत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगी, जिसमें सरकार को इन सभी सवालों और चिंताओं का जवाब देना होगा। उम्मीद है कि यह बहस भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति, आतंकवाद विरोधी रणनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करेगी।
