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नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई), जो अब तक एक स्वायत्त और निजी निकाय के रूप में संचालित होता रहा है, जल्द ही राष्ट्रीय खेल विधेयक के दायरे में आएगा। सरकार आज संसद में ‘राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक 2025’ पेश करने वाली है, जिसका उद्देश्य देश के सभी खेल महासंघों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। इस विधेयक के पारित होने के बाद, बीसीसीआई को एक राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) के रूप में मान्यता मिलेगी और वह सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत भी आ जाएगा।
यह कदम भारतीय खेल प्रशासन में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने की उम्मीद है। हालांकि बीसीसीआई सरकार से कोई वित्तीय सहायता नहीं लेता है, लेकिन राष्ट्रीय क्रिकेट टीमों के चयन और भारी धनराशि के प्रबंधन में इसकी केंद्रीय भूमिका के कारण इसे सार्वजनिक जवाबदेही के दायरे में लाने की मांग लंबे समय से उठ रही थी।
मुख्य बिंदु:
* राष्ट्रीय खेल महासंघ का दर्जा: विधेयक के तहत बीसीसीआई को एक राष्ट्रीय खेल महासंघ के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। इसका मतलब है कि इसे अन्य मान्यता प्राप्त खेल महासंघों के समान नियमों, शासन मानकों और विवाद समाधान तंत्रों का पालन करना होगा।
* आरटीआई अधिनियम के तहत: बीसीसीआई को आरटीआई अधिनियम, 2005 के दायरे में लाने से उसकी निर्णय प्रक्रियाओं और वित्तीय अभिलेखों तक सार्वजनिक पहुंच सुनिश्चित होगी। यह पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
* राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन: विधेयक एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) के गठन का भी प्रस्ताव करता है, जो खेल महासंघों की मान्यता और निलंबन की देखरेख करेगा। इस बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी।
* राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण: खेल से संबंधित विवादों के त्वरित समाधान के लिए एक राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण (National Sports Tribunal) की स्थापना की जाएगी। यह न्यायाधिकरण चयन से लेकर चुनावों तक के विवादों को सुलझाएगा और इसके निर्णयों को केवल सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी, जिससे मुकदमों में होने वाली देरी कम होगी।
* पदाधिकारियों की आयु सीमा: विधेयक में पदाधिकारियों के लिए ऊपरी आयु सीमा को 70 से बढ़ाकर 75 वर्ष करने का भी प्रावधान है, जिसका कई महासंघों ने स्वागत किया है। इससे बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी जैसे वर्तमान पदाधिकारी अपने पदों पर बने रह सकते हैं।
* खिलाड़ी-केंद्रित दृष्टिकोण: विधेयक में एथलीटों के अधिकारों की सुरक्षा और खेल पारिस्थितिकी तंत्र में नैतिक आचरण सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया गया है। इसमें खेल महासंघों की कार्यकारी समितियों में एथलीटों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य करना और लिंग संतुलन स्थापित करना शामिल है।
सरकार का कहना है कि यह विधेयक किसी भी खेल महासंघ पर सरकारी नियंत्रण नहीं लाएगा, बल्कि अच्छे शासन को बढ़ावा देगा। चूंकि क्रिकेट को 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में शामिल किया गया है, इसलिए बीसीसीआई के लिए इस विधेयक के नियमों का पालन करना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। यह नया कानून भारतीय खेल परिदृश्य में संरचनात्मक सुधार, बढ़ी हुई जवाबदेही और खिलाड़ी-प्रथम नीतियों के माध्यम से एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा।
