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नई दिल्ली: लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर चल रही बहस उस समय गरमा गई जब कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पर सीधा हमला बोलते हुए एक काल्पनिक परिदृश्य पेश किया, जिसमें राफेल जेट विमानों को गिराए जाने की बात कही गई थी। गोगोई के इस बयान पर राजनाथ सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे देश की वायुसेना का मनोबल गिराने वाला करार दिया।
बहस की शुरुआत सरकार द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के उद्देश्य और उसके प्रभाव को लेकर की गई थी। सत्ता पक्ष ने जहां इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया, वहीं विपक्ष ने इसकी टाइमिंग और पारदर्शिता पर सवाल उठाए। इसी दौरान गौरव गोगोई ने अपनी बात रखते हुए कहा, “अगर ऑपरेशन के दौरान दुर्भाग्यवश हमारे कुछ राफेल जेट गिरा दिए जाते, तो क्या सरकार उसकी जिम्मेदारी लेती? क्या देश को बताया जाता कि इसमें कितनी लागत आई और क्या हासिल हुआ?”
गोगोई के इस बयान पर राजनाथ सिंह तुरंत खड़े हुए और उन्होंने कड़ा विरोध दर्ज कराया। सिंह ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक माननीय सदस्य हमारी वायुसेना के शौर्य और पराक्रम पर सवाल उठा रहे हैं। राफेल जैसे अत्याधुनिक विमानों को गिराए जाने की बात करना, खासकर एक काल्पनिक स्थिति में, हमारी सेना का मनोबल गिराने जैसा है। हमें अपनी सेना पर पूरा भरोसा है और उनकी क्षमता पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए।”
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े ऐसे संवेदनशील मामलों में विपक्ष को राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार हर ऑपरेशन में पारदर्शिता बनाए रखती है, लेकिन कुछ जानकारियां राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सार्वजनिक नहीं की जा सकतीं।
कांग्रेस सांसद ने हालांकि अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनका इरादा सेना का अपमान करना नहीं था, बल्कि वह सरकार से जवाबदेही की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हर सैन्य अभियान में पारदर्शिता और जवाबदेही महत्वपूर्ण होती है, खासकर जब देश के कीमती संसाधनों और सैनिकों के जीवन का सवाल हो।
यह घटनाक्रम दिखाता है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर संसद में गरमागरम बहस जारी है, और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिल रही है।
