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छत्तीसगढ़ में कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी: केरल में हलचल, भाजपा नेता सतर्क

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रायपुर/तिरुवनंतपुरम: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी ने केरल में गहरे राजनीतिक और सामाजिक हलचल पैदा कर दी है, जिससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सावधानी बरत रहे हैं। मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के आरोपों में गिरफ्तार की गईं ये नन केरल से ताल्लुक रखती हैं, और इस घटना ने दोनों राज्यों में भाजपा इकाइयों के बीच भी मतभेद पैदा कर दिए हैं।

जानकारी के अनुसार, सिस्टर वंदना और सिस्टर प्रीति को 25 जुलाई, 2025 को दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि वे तीन आदिवासी लड़कियों को आगरा स्थित एक अस्पताल में नौकरी दिलाने के बहाने ले जा रही थीं। हालांकि, बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद रेलवे पुलिस ने उन्हें रोक लिया। छत्तीसगढ़ पुलिस ने इन ननों के खिलाफ छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 की धारा 4 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 143 (तस्करी) के तहत मामला दर्ज किया है।

इस गिरफ्तारी के बाद से केरल में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों, चर्च समूहों और ईसाई संगठनों ने इस कार्रवाई की निंदा की है, इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। कांग्रेस के कई सांसदों ने भी संसद भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और ननों की रिहाई की मांग की। माकपा की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने दुर्ग जेल में ननों से मुलाकात की और उनकी गिरफ्तारी को “असंवैधानिक और अवैध” करार दिया, साथ ही आरोप लगाया कि बजरंग दल के इशारे पर यह कार्रवाई की गई है।

दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ननों पर “मानव तस्करी और प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरण” में शामिल होने का आरोप दोहराया है। हालांकि, गिरफ्तार लड़कियों के परिजनों ने स्पष्ट किया है कि कोई जबरन धर्मांतरण नहीं हुआ था और उन्होंने अपनी मर्जी से आगरा जाने की सहमति दी थी।

इस संवेदनशील मामले ने भाजपा के भीतर भी विभाजन पैदा कर दिया है। जहां छत्तीसगढ़ भाजपा सरकार आरोपों पर कायम है, वहीं केरल भाजपा के नेता सावधानी बरत रहे हैं। केरल भाजपा अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने संदेह व्यक्त किया है कि नन किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल थीं। केरल भाजपा के महासचिव अनूप एंटनी ननों की रिहाई का प्रयास करने के लिए छत्तीसगढ़ में हैं। केरल भाजपा को डर है कि इस घटना से राज्य में ईसाई समुदाय का विश्वास कम हो सकता है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हाल के वर्षों में कई आउटरीच पहलों के माध्यम से सावधानीपूर्वक हासिल किया गया था। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए, भाजपा इस मुद्दे पर फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।

फिलहाल, ननों की जमानत याचिका सत्र न्यायालय द्वारा क्षेत्राधिकार के अभाव में खारिज कर दी गई है, और मामले की जांच जारी है। यह घटना धार्मिक स्वतंत्रता, मानवाधिकारों और राजनीतिकरण को लेकर देश में एक बड़ी बहस का विषय बन गई है।

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