Source Times of India
नई दिल्ली, 11 अगस्त 2025: लोकसभा ने सोमवार को इनकम-टैक्स (No. 2) बिल, 2025 पारित कर दिया, जिसमें Select Committee (चैयरमैन: Baijayant Panda) की लगभग सभी प्रमुख सिफारिशों को शामिल किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह संशोधित बिल पेश किया, जिसमें अधिकांश सुधारकारी सुझाव शामिल हैं और यह 1961 के पुराने कर कानून को प्रतिस्थापित करेगा।
प्रमुख संसदीय पैनल की सिफारिशें और उनका समावेश
1. देर से रिटर्न फाइल करने पर TDS रिफंड की अनुमति
पैनल ने यह सिफारिश की कि करदाता जब आयकर रिटर्न समय से बाद में दाखिल करें, तब भी उन्हें TDS रिफंड मिल सके — बिना दंडात्मक शुल्क के। इसे संशोधित बिल में शामिल किया गया है।
2. घर के सम्पत्ति आय पर दो महत्वपूर्ण सुधार
30% मानक कटौती (standard deduction) की व्यवस्था की गई है, जो आवास संपत्ति की वार्षिक मूल्य (GAV) पर कटौती के रूप में मान्य होगी।
होम लोन पर पूर्व-निर्माण ब्याज की कटौती (pre-construction interest) की सुविधा दी गई है, जिसे संपत्ति के निर्माण पूर्ण होने के वर्ष से पाँच बराबर किस्तों में दावा किए जाने की छूट दी गई है।
3. अनाम दान (Anonymous donations) पर स्पष्टता व छूट
Select Committee ने सुझाव दिया कि धार्मिक एवं चैरिटेबल ट्रस्टों को प्राप्त अनाम दान को कर-मुक्त किया जाए, बशर्ते कि ये ट्रस्ट सामाजिक सेवाओं में भी लगे हों। इस पर संशोधन बिल में उपयुक्त प्रावधान जोड़े गए हैं ताकि विवाद से बचा जा सके।
4. ड्राफ्टिंग सुधार और भाषा-संसोधन
बिल के ड्राफ्ट में अस्पष्टता दूर करने, शब्दावली का संरेखण और संबंधित प्रावधानों के बीच क्रॉस-रेफरेंस सुधारने के लिए विशद सुझाव माने गए हैं। Select Committee ने कुल 566 सिफारिशें कीं, और उनमें से अधिकांश संशोधित बिल में प्रतिफलित की गई हैं।
5. अन्य सुधार: संरचना एवं पारदर्शिता
बिल के अनुभागों की संख्या 819 से घटाकर 536 कर दी गई है। इसका उद्देश्य कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और डिजिटल-प्रथम (faceless assessment) बनाना है। इसमें TDS रिफंड जल्दी प्राप्त करने, नोटिस जारी होने से पहले कर अधिकारी द्वारा पूर्व सूचना देना, और अनाम दान पर नियंत्रण जैसे कई सुधार शामिल हैं।
निष्कर्ष
इस संशोधित इनकम टैक्स बिल में संसदीय पैनल द्वारा सुल द्वारा सुझाए गए करदाताओं को राहत देने वाले प्रावधान, संपत्ति-संबंधित कटौतियाँ, ड्राफ्टिंग सुधार और पारदर्शिता बढ़ाने वाले उपाय सम्मिलित किए गए हैं। यह कदम कर व्यवस्था को सरल, समावेशी और अधिक सक्षम बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
