Source NDTV World
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली ऐतिहासिक बैठक को लेकर दुनिया की नज़रें अलास्का पर टिकी हुई हैं। यह मुलाकात उस जगह पर हो रही है, जो कभी रूस के नियंत्रण में था और 1867 में ‘अलास्का परचेज़’ के तहत अमेरिका का हिस्सा बना। इस वजह से यह शिखर सम्मेलन न सिर्फ राजनीतिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बैठक का उद्देश्य
सूत्रों के अनुसार, इस समिट में अमेरिका और रूस के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। इनमें आर्कटिक क्षेत्र में सामरिक सहयोग, ऊर्जा संसाधनों का उपयोग, और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषय शामिल हैं। साथ ही, यूक्रेन संकट और पश्चिमी देशों के साथ रूस के तनावपूर्ण संबंधों पर भी बातचीत होने की संभावना है।
राजनीतिक मायने
यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है, जब वैश्विक राजनीति में अमेरिका-रूस संबंध बेहद संवेदनशील दौर से गुजर रहे हैं। ट्रम्प, जो अपने कार्यकाल के दौरान पुतिन के साथ अपेक्षाकृत मैत्रीपूर्ण संबंध रखने के लिए जाने जाते थे, इस मुलाकात के जरिए एक बार फिर अपनी कूटनीतिक सक्रियता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, पुतिन इस अवसर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर रूस की छवि को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
अलास्का का ऐतिहासिक संदर्भ
अलास्का का इतिहास इस मुलाकात को खास बनाता है। 19वीं सदी में यह क्षेत्र रूस के नियंत्रण में था, लेकिन 1867 में अमेरिका ने इसे 72 लाख डॉलर में खरीद लिया। अब, इतने सालों बाद रूस के राष्ट्रपति का यहां आगमन एक प्रतीकात्मक महत्व रखता है।
सुरक्षा और तैयारी
समिट के दौरान सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी रखी गई है। अमेरिकी सीक्रेट सर्विस, अलास्का स्टेट ट्रूपर्स और अन्य एजेंसियां सुरक्षा प्रबंधों में जुटी हैं। साथ ही, मीडिया कवरेज के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं, ताकि दुनिया भर में इस मुलाकात की हर झलक पहुंच सके।
निष्कर्ष
अलास्का समिट केवल एक कूटनीतिक बैठक नहीं, बल्कि इतिहास, राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का संगम है। अब देखना होगा कि यह मुलाकात भविष्य में अमेरिका-रूस संबंधों के लिए कितनी कारगर साबित होती है।
