Source Bloomberg
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अमेरिकी टैरिफ नीतियों पर तीखा प्रहार करते हुए इसे “आर्थिक स्वार्थ” और “वैश्विक व्यापार की भावना के विपरीत” करार दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे कदम न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और विकासशील देशों की प्रगति को भी बाधित करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह टिप्पणी जी20 व्यापार एवं निवेश मंच को संबोधित करते हुए की, जहां उन्होंने मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी वैश्विक व्यापार व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “जब बड़े देश अपनी आर्थिक नीतियों को केवल घरेलू राजनीति और स्वार्थ के आधार पर तय करते हैं, तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। टैरिफ बाधाएं, व्यापार प्रतिबंध और संरक्षणवाद 21वीं सदी के आर्थिक विकास के लिए बाधक हैं।”
अमेरिका द्वारा हाल ही में इस्पात, एल्युमिनियम और कुछ टेक उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने के फैसले को अप्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाते हुए मोदी ने कहा कि इससे न केवल भारत, बल्कि कई अन्य देशों के निर्यातकों को नुकसान होगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि ऐसी नीतियां वैश्विक व्यापार युद्ध को जन्म दे सकती हैं, जिससे आर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी।
मोदी ने अपने भाषण में भारत की ओर से बहुपक्षीय व्यापार समझौतों और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियम-आधारित तंत्र के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा ‘विन-विन’ समाधान की वकालत करता है, जहां सभी देशों को लाभ हो और किसी भी देश को नुकसान न पहुंचे।
प्रधानमंत्री ने विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए विशेष सहयोग की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे देशों को वैश्विक बाजार में उचित अवसर और संसाधन उपलब्ध कराना बड़े राष्ट्रों की जिम्मेदारी है।
अमेरिका और भारत के बीच हाल के वर्षों में व्यापार को लेकर कई विवाद सामने आए हैं, हालांकि दोनों पक्षों ने इन्हें बातचीत और समझौते के माध्यम से सुलझाने की कोशिश की है। लेकिन अमेरिकी टैरिफ नीति पर भारत की आपत्ति यह संकेत देती है कि दोनों देशों के बीच आर्थिक मोर्चे पर मतभेद अभी भी बरकरार हैं।
मोदी के बयान को विशेषज्ञ एक मजबूत संदेश के रूप में देख रहे हैं, जिसमें भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह वैश्विक व्यापार में न्याय, पारदर्शिता और परस्पर लाभ के सिद्धांत से समझौता नहीं करेगा।
