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ट्रंप प्रशासन इंटेल में 10% हिस्सेदारी खरीदने पर विचार कर रहा है और अनुदान को इक्विटी में बदलने की संभावना तलाश रहा है। यदि यह सौदा सफल होता है तो अमेरिकी सरकार, इंटेल की सबसे बड़ी शेयरधारक बन सकती है। यह कदम अमेरिकी सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्योगों में सरकारी भागीदारी बढ़ाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
इंटेल के अनुदानों को इक्विटी में बदलने की योजना
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन चिप्स एक्ट के तहत इंटेल को दिए गए $10.9 बिलियन के अनुदानों को इक्विटी में बदलने पर विचार कर रहा है। यह अनुदान मूल रूप से नए चिप कारखाने बनाने और अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए था। इस योजना के तहत, सरकार कंपनी में लगभग 10% हिस्सेदारी हासिल कर सकती है, जिसकी कीमत मौजूदा बाजार मूल्य पर लगभग $10.5 बिलियन होगी। इस सौदे से अमेरिकी सरकार को कंपनी में एक महत्वपूर्ण हिस्सा मिलेगा, जो देश की प्रौद्योगिकी आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करने के प्रयासों के अनुरूप है।
सॉफ्टबैंक का निवेश और राजनीतिक पृष्ठभूमि
यह खबर ऐसे समय में आई है जब जापानी प्रौद्योगिकी समूह सॉफ्टबैंक ने इंटेल में $2 बिलियन का निवेश करने की घोषणा की है, जिससे यह कंपनी का छठा सबसे बड़ा शेयरधारक बन गया है। इस कदम से अमेरिकी विनिर्माण और एआई में सॉफ्टबैंक के बढ़ते विश्वास का संकेत मिलता है।
हालांकि, इंटेल के सीईओ लिप-बू टैन को लेकर ट्रंप ने पहले इस्तीफे की मांग की थी, लेकिन अब दोनों के बीच बैठकें हुई हैं, जो इस बात का संकेत देती हैं कि संबंधों में सुधार हुआ है। वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने पुष्टि की है कि यह संभावित हिस्सेदारी मतदान अधिकार नहीं देगी, लेकिन यह एक रणनीतिक निवेश है जो अमेरिकी करदाताओं के लिए मूल्य सुनिश्चित करेगा।
इंटेल, जो हाल के वर्षों में वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रही है, इस सरकारी निवेश से अपनी स्थिति मजबूत करने और वैश्विक चिप बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता फिर से हासिल करने की उम्मीद कर रही है।
