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रूसी तेल को ‘मुद्दा बनाकर पेश किया गया’: ट्रंप के भारत पर टैरिफ पर बोले जयशंकर

Source HT

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए नए शुल्क और व्यापारिक दबावों के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस से तेल आयात को लेकर अमेरिका की आपत्तियों पर प्रतिक्रिया दी है। जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि “रूसी तेल को बार-बार एक मुद्दे के रूप में पेश किया जा रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर फैसले लेता है।”

विदेश मंत्री ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा कि भारत की प्राथमिकता देश की जनता और अर्थव्यवस्था की स्थिरता है। उन्होंने कहा, “हम ऐसे किसी भी कदम को स्वीकार नहीं कर सकते जो हमारे नागरिकों की ऊर्जा आवश्यकताओं को नुकसान पहुंचाए। दुनिया के कई देश अपनी सुविधानुसार खरीद करते हैं, तो भारत को भी वही अधिकार है।”

ट्रंप के टैरिफ और भारत की प्रतिक्रिया

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत के खिलाफ नई व्यापारिक नीतियां घोषित की हैं, जिनमें आयात पर अतिरिक्त शुल्क और शुल्क संरचना में बदलाव शामिल हैं। अमेरिका का कहना है कि भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीद बढ़ाकर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों को कमजोर किया है। इसी आधार पर वाशिंगटन ने भारत के लिए कुछ उत्पादों पर कड़े टैरिफ की घोषणा की।

जयशंकर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह कदम “आर्थिक दबाव बनाने का प्रयास” है। उन्होंने जोर दिया कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में आकर अपनी नीतियां नहीं बदलेगा। विदेश मंत्री ने दोहराया कि भारत ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय कानूनों और ऊर्जा बाजार की पारदर्शिता का सम्मान किया है।

रूस-भारत ऊर्जा सहयोग

रूस से सस्ता तेल आयात कर भारत ने अपनी घरेलू महंगाई पर नियंत्रण रखने और उद्योगों को स्थिर ऊर्जा आपूर्ति देने में सफलता हासिल की है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रूस अब भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। जयशंकर ने कहा कि यह संबंध “शुद्ध आर्थिक हितों पर आधारित है और किसी भी राजनीतिक दबाव का परिणाम नहीं है।”

आगे की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन की यह रणनीति भारत को अमेरिका के साथ बातचीत की मेज पर लाने का प्रयास है। हालांकि, भारत ने संकेत दिया है कि वह वैकल्पिक बाजारों की खोज भी कर रहा है और बहुपक्षीय सहयोग को प्राथमिकता देगा।

जयशंकर ने अंत में कहा, “भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। हम साझेदारी के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन अपने राष्ट्रीय हितों की कीमत पर नहीं।”

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