Source the economics Times
नई दिल्ली: उद्योगपति अनिल अंबानी ने बैंक ऑफ इंडिया (BOI) द्वारा उनके और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) के लोन अकाउंट को ‘फ्रॉड’ घोषित करने के आरोपों को सख्ती से नकार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बैंक ने उन्हें “चुनिंदा रूप से निशाना” बनाया है।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब कुछ दिन पहले ही भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने भी RCom के खातों को धोखाधड़ी वाला घोषित किया था, जिसके बाद सीबीआई ने अंबानी के मुंबई स्थित आवास और कंपनी के दफ्तरों पर छापेमारी की थी।
अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि एसबीआई द्वारा दर्ज की गई शिकायत 10 साल से भी अधिक पुरानी है और उस समय अनिल अंबानी कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक थे, जिनका रोज़मर्रा के कामकाज में कोई दखल नहीं था।
बैंक ऑफ इंडिया ने RCom और रिलायंस टेलीकॉम के खातों को फ्रॉड घोषित करते हुए आरोप लगाया है कि कंपनी ने फंड का गलत इस्तेमाल किया और लोन की शर्तों का पालन नहीं किया। बैंक के अनुसार, RCom का अकाउंट 30 जून 2017 को 724.78 करोड़ रुपये के बकाया के साथ एनपीए हो गया था। बैंक ने दावा किया कि बकाया राशि चुकाने के लिए बार-बार संपर्क करने के बावजूद वे भुगतान करने में विफल रहे हैं।
दूसरी ओर, अंबानी ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि उन्हें बिना किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक ऑफ इंडिया ने कंपनी के 13 निदेशकों और प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों को नोटिस जारी किया था, लेकिन बाद में सभी के खिलाफ कार्रवाई वापस ले ली, जबकि उनके खिलाफ कार्रवाई जारी रखी।
अंबानी के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि यह मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) और सुप्रीम कोर्ट सहित अन्य न्यायिक मंचों पर पिछले छह वर्षों से विचाराधीन है।
अनिल अंबानी की मुश्किलें पिछले कुछ समय से लगातार बढ़ रही हैं। सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां भी उनके खिलाफ जांच कर रही हैं। इन आरोपों ने देश के कॉर्पोरेट जगत में एक नई बहस छेड़ दी है, क्योंकि यह मामला बड़े बैंकों से जुड़ी धोखाधड़ी और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
