पडरौना, उत्तर प्रदेश – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर शुल्क दोगुना करने के फैसले से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव आ गया है। इस कदम से भारत के व्यापारिक समुदाय में चिंता बढ़ गई है और दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध की आशंकाएं गहरा गई हैं।
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में घोषणा की कि वह भारत से आयातित कुछ इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाएगा, जिससे ये शुल्क दोगुने हो जाएंगे। अमेरिका का दावा है कि यह कदम घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए आवश्यक है, लेकिन भारत इसे विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का उल्लंघन मान रहा है।
भारत सरकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा है कि वह अमेरिकी कार्रवाई का उचित जवाब देगी। वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि भारत भी अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाने पर विचार कर रहा है। इससे पहले भी, जब अमेरिका ने भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेस (GSP) कार्यक्रम से बाहर कर दिया था, तब भारत ने अमेरिका के कई उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिए थे।
इस फैसले से भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान होने की आशंका है, खासकर इस्पात और एल्यूमीनियम जैसे क्षेत्रों में। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (FIEO) के अध्यक्ष ने कहा कि यह कदम भारत के निर्यात क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका है और इससे हजारों नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह इस मुद्दे को कूटनीतिक स्तर पर उठाए और अमेरिका के साथ बातचीत के माध्यम से समाधान निकाले।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह फैसला केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक उद्देश्यों से भी प्रेरित है। अमेरिका में आगामी चुनावों को देखते हुए, ट्रंप घरेलू उद्योगों के समर्थन में मजबूत कदम उठाना चाहते हैं। हालांकि, इसका खामियाजा भारत जैसे महत्वपूर्ण सहयोगी देश को भुगतना पड़ रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी कमजोर हो सकती है।
भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों में संबंधों में काफी मजबूती आई थी, खासकर रक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग के क्षेत्र में। लेकिन, व्यापारिक मुद्दों पर बढ़ते मतभेद इन संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। दोनों देशों को एक ऐसे समाधान की तलाश करनी होगी जिससे उनके आर्थिक हित सुरक्षित रहें और द्विपक्षीय संबंध भी मजबूत बने रहें।
