Source Swarajya
नई दिल्ली, 30 अगस्त 2025 – वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1) के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े जारी हुए हैं, और यह बाजार व विशेषज्ञों की उम्मीदों से कहीं बेहतर निकले हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था में 8.2% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो बीते कुछ समय की वैश्विक चुनौतियों के बावजूद उल्लेखनीय मानी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तेजी के पीछे मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश और प्राइवेट कंजंप्शन का योगदान रहा। खासतौर पर, उत्पादन और निर्माण गतिविधियों में सुधार ने समग्र आर्थिक विकास की रफ्तार को बढ़ाया।
वैश्विक परिदृश्य में भारत की स्थिति
वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंकाओं और अमेरिकी व यूरोपीय बाजारों में सुस्ती के बीच भारत की अर्थव्यवस्था का यह प्रदर्शन काफी सकारात्मक संकेत देता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक पहले ही अनुमान जता चुके थे कि भारत अगले दो वर्षों तक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
किन क्षेत्रों ने बढ़ाया ग्रोथ?
1. मैन्युफैक्चरिंग – तिमाही में दो अंकों की वृद्धि, जिससे रोजगार और निर्यात दोनों को सहारा मिला।
2. सेवा क्षेत्र – आईटी, टेलीकॉम और वित्तीय सेवाओं ने स्थिर वृद्धि दर्ज की।
3. कृषि – मानसून सामान्य रहने के कारण कृषि उत्पादन में सुधार हुआ, हालांकि यह वृद्धि अपेक्षाकृत मध्यम रही।
4. निवेश – सरकारी पूंजीगत व्यय और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट दोनों में बढ़ोतरी से इंफ्रास्ट्रक्चर विकास तेज हुआ।
सरकार और रिज़र्व बैंक की भूमिका
सरकार ने लगातार पूंजीगत व्यय बढ़ाने और उद्योगों के लिए प्रोत्साहन देने पर जोर दिया है। वहीं, रिज़र्व बैंक ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने और विकास को सहारा देने के बीच संतुलन बनाए रखा।
आगे की राह
हालांकि यह ग्रोथ दर उत्साहजनक है, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि आने वाले महीनों में तेल की कीमतों, वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और घरेलू मुद्रास्फीति जैसे कारक चुनौती पेश कर सकते हैं। फिर भी, मौजूदा आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था लचीलापन दिखा रही है और मजबूत नींव पर खड़ी है।
निष्कर्ष
भारत की Q1 FY25-26 जीडीपी ग्रोथ ने न केवल उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि कठिन वैश्विक हालातों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। यदि यही रफ्तार बनी रही तो यह वित्तीय वर्ष भारत के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता
