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अमेरिकी हेज फंड और ट्रेडिंग दिग्गज Jane Street ने भारतीय बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के खिलाफ कानूनी लड़ाई छेड़ दी है। कंपनी पर SEBI ने हाल ही में मार्केट मैनिपुलेशन (बाजार में हेरफेर) के गंभीर आरोप लगाए थे।
Jane Street ने इन आरोपों को “बेहद अनुचित” और “कानूनी रूप से अस्थिर” बताते हुए अदालत में चुनौती दी है। कंपनी का कहना है कि उसने भारतीय शेयर बाजार में सभी लेनदेन पारदर्शिता और नियामकीय दिशानिर्देशों के अनुसार किए हैं।
SEBI का आरोप है कि Jane Street ने कुछ शेयरों और डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेडिंग पैटर्न का दुरुपयोग कर निवेशकों को गुमराह किया। नियामक ने दावा किया कि इससे बाजार में “कृत्रिम उतार-चढ़ाव” पैदा हुआ और निवेशकों का भरोसा प्रभावित हुआ।
वहीं, Jane Street ने साफ किया कि उसके ट्रेडिंग मॉडल वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल किए जाते हैं और किसी भी प्रकार की “गैरकानूनी मंशा” से उनका उपयोग नहीं किया गया। कंपनी ने कहा कि SEBI का यह कदम विदेशी निवेशकों के लिए “नकारात्मक संदेश” देगा और भारत के पूंजी बाजार की छवि पर असर डाल सकता है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला विदेशी निवेशकों और भारतीय नियामक तंत्र के बीच संबंधों पर गहरा असर डाल सकता है। यदि अदालत Jane Street के पक्ष में फैसला देती है, तो यह SEBI की जांच प्रक्रियाओं पर सवाल खड़ा कर सकता है। वहीं, अगर SEBI का पक्ष मजबूत साबित होता है, तो विदेशी फर्मों पर निगरानी और कड़ी हो सकती है।
यह मामला अब उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है और आने वाले हफ्तों में इसकी सुनवाई होने की उम्मीद है।
