Source The Indian Express
महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा आरक्षण का मुद्दा लंबे समय से सबसे ज्वलंत विषयों में रहा है। इस मसले पर कई बार सड़कों पर बड़े आंदोलन खड़े हुए और सत्ता को चुनौती मिली। लेकिन इस बार बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इसका राजनीतिक समाधान निकालने के लिए व्यापक सराहना मिल रही है। यहां तक कि उनके आलोचक भी मान रहे हैं कि फडणवीस ने बेहद रणनीतिक तरीके से जरांगे पाटिल के आंदोलन से उपजी राजनीतिक चुनौती को शांत कर दिया।
जरांगे पाटिल का आंदोलन और उसका असर
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर समाजसेवी मनोज जरांगे पाटिल ने आंदोलन छेड़ा था। उनका आंदोलन धीरे-धीरे राज्यभर में गूंजने लगा और राजनीतिक दलों पर दबाव बढ़ गया। कई बार हालात तनावपूर्ण हुए और सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण माहौल बना।
फडणवीस की रणनीति
देवेंद्र फडणवीस ने इस बार कठोर रुख अपनाने के बजाय संवाद और समन्वय पर जोर दिया। उन्होंने जरांगे पाटिल से सीधा संवाद स्थापित किया और आरक्षण के संवैधानिक पहलुओं को सामने रखते हुए समाधान खोजने का आश्वासन दिया। साथ ही प्रशासनिक स्तर पर भी हालात को नियंत्रित करने में उनकी टीम सक्रिय रही।
आलोचकों ने भी की तारीफ़
आम तौर पर फडणवीस की नीतियों की आलोचना करने वाले विपक्षी नेता भी इस बार उनके दृष्टिकोण से सहमत दिखे। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि फडणवीस ने न सिर्फ राज्य सरकार की छवि बचाई, बल्कि मराठा समाज की भावनाओं को भी सम्मान दिया। यही कारण है कि उनके आलोचक भी अब खुलकर कह रहे हैं – “सारा श्रेय फडणवीस को जाता है।”
राजनीतिक असर
इस पूरे घटनाक्रम ने बीजेपी को महाराष्ट्र की राजनीति में नई बढ़त दिलाई है। मराठा समुदाय के बीच विश्वास कायम करने का प्रयास सफल रहा है और आने वाले चुनावों पर इसका असर पड़ना तय माना जा रहा है।
