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भारत में ऑनलाइन फ़ूड डिलीवरी और इंस्टेंट ग्रॉसरी प्लेटफ़ॉर्म जैसे ज़ोमैटो, स्विगी और ब्लिंकिट का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर है। हाल ही में ऐसी खबरें सामने आई हैं कि इन प्लेटफॉर्म्स पर डिलीवरी शुल्क पर 18% वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाया जा सकता है, जिससे ग्राहकों के लिए ऑर्डर महंगे हो सकते हैं। आइए जानते हैं इस खबर की सच्चाई और इसके संभावित प्रभाव।
क्या है मामला?
दरअसल, यह मामला एक पुराने स्पष्टीकरण से जुड़ा है न कि किसी नए नियम से। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि फ़ूड डिलीवरी प्लेटफ़ॉर्म द्वारा ली जाने वाली डिलीवरी फीस पर GST लगेगा। यह नियम 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी है।
तो फिर अब क्यों हो रही है चर्चा?
हाल ही में, GST परिषद की बैठकों और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के कारण यह मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया। भ्रम इस बात को लेकर था कि क्या यह कोई नया टैक्स है या मौजूदा नियमों को ही फिर से दोहराया जा रहा है।
सच्चाई क्या है?
सच्चाई यह है कि डिलीवरी शुल्क पर 18% GST पहले से ही लागू है। इसमें कोई नया बदलाव नहीं किया गया है। 1 जनवरी, 2022 से, ये ई-कॉमर्स ऑपरेटर (ECO) रेस्तरां सेवाओं पर GST का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार हैं, बजाय इसके कि रेस्तरां स्वयं करें। डिलीवरी शुल्क भी इसी श्रेणी में आता है।
किस पर पड़ता है असर?
यह GST मुख्य रूप से डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स पर लागू होता है, जो इसे ग्राहकों से वसूल कर सरकार को जमा करते हैं। इसका मतलब यह है कि जब आप इन प्लेटफॉर्म्स से खाना या सामान ऑर्डर करते हैं, तो डिलीवरी शुल्क पर लगने वाला GST आपकी बिल राशि में शामिल होता है।
क्या ग्राहकों के लिए कीमतें बढ़ेंगी?
यदि यह कोई नया टैक्स होता तो निश्चित रूप से ग्राहकों के लिए कीमतें बढ़तीं। लेकिन चूंकि यह पहले से ही लागू है, इसलिए तत्काल कोई नई बढ़ोतरी होने की संभावना नहीं है, जब तक कि प्लेटफ़ॉर्म अपनी मूल्य निर्धारण नीति में कोई बदलाव न करें। ग्राहकों को पहले से ही डिलीवरी शुल्क पर GST का भुगतान करना पड़ रहा है।
विशेषज्ञों की राय
टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल मौजूदा नियमों का एक स्पष्टीकरण है और ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है। ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स पर पहले से ही यह जिम्मेदारी है कि वे डिलीवरी शुल्क सहित कुल सेवा मूल्य पर GST की गणना करें और उसे सरकार को जमा करें।
निष्कर्ष
संक्षेप में, ज़ोमैटो, स्विगी और ब्लिंकिट जैसे डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स पर डिलीवरी शुल्क पर 18% GST लगने की खबरें किसी नए नियम का संकेत नहीं हैं। यह एक मौजूदा प्रावधान है जो 2022 से लागू है। ग्राहकों को पहले से ही इस GST का भुगतान करना पड़ रहा है, इसलिए तत्काल कोई नई कीमत वृद्धि अपेक्षित नहीं है।
