Source Times Now
लंबे समय से वायु युद्ध क्षेत्र में अमेरिका की श्रेष्ठता — विशेषकर स्टेल्थ क्षमताओं में — अनैच्छिक माना जाता रहा है। लेकिन चीन द्वारा हाल ही में प्रस्तुत किया गया J-35 स्टेल्थ लड़ाकू विमानों का दावा, जिसमें इसका रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) हाथ की हथेली से भी छोटा बताया गया है, इस धारणा को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला रहा है।
नीचे इस दावे और इसके सैन्य-रणनीतिक मायनों का विश्लेषण प्रस्तुत है:
J-35: क्या है दावा?
चीन का सरकारी मीडिया कह रहा है कि J-35 के RCS को हाथ की हथेली से भी छोटा बताया गया है।
इस तरह का RCS स्तर “बहुत ही छोटा” माना जाता है, जिससे विमान शत्रु रडारों द्वारा बहुत करीब आने तक भी पहचान नहीं हो सके।
चीन का दावा है कि यह उपलब्धि जटिल हवाई संरचनाओं (airframe), विशेष मेटामटेरियल कोटिंग्स और उन्नत डिजाइन विधियों के संयोजन से संभव हुई है।
J-35 की उड़ान और परीक्षण संचालन को चीन के नए विमानवाहक पोत Fujian से जुड़े इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट लॉन्च परीक्षण से भी जोड़ा गया
सीमाएँ और अनिश्चितताएँ
हालाँकि ये दावे प्रभावशाली दिखते हैं, लेकिन कई ऐसे प्रश्न हैं जिनका सार्वजनिक रूप से उत्तर अभी तक नहीं मिला:
1. स्वतंत्र सत्यापन का अभाव
चीन की सरकार और मीडिया द्वारा किए गए दावों का कोई भरोसेमंद तृतीय-पक्ष (independent) परीक्षण या खुलासा नहीं हुआ है।
2. रडार क्रॉस-सेक्शन नियंत्रण
RCS एकल संख्या नहीं होती, बल्कि यह दिशा, आवृत्ति (radar frequency band), विमान की स्थिति, और पर्यावरणीय कारकों पर निर्भर करती है।
3. अन्य प्रणालियों का मुकाबला
सिर्फ रडार-गुप्तता ही निर्णायक नहीं होती — इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, सेंसर जाल, नेटवर्क संचार और वायु रक्षा प्रणालियाँ भी महत्वपूर्ण हैं।
उदाहरण के लिए, अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने पिछले वर्षों में सेंसर-समेकन, मल्टी-स्पेक्ट्रम रडार, और जद्दोजहद तकनीकों में बड़े निवेश किए हैं।
4. F-35 व अन्य अमेरिकी विमानों की स्थिति
अमेरिकी F-35 के रडार क्रॉस-सेक्शन को आमतौर पर लगभग 15 सेमी² (गोल्फ बॉल के आकार के बराबर) माना जाता है, जो कि बहुत कम माने जाते हैं।
इसके अतिरिक्त, अमेरिका के F-22 जैसे विमान बहुत निम्न RCS और बेहतर सेंसर संयोजन रखते ह
क्या अमेरिका की स्टेल्थ सुप्रीमेसी खतरे में है?
“खतरा” कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन ये कुछ संकेत हैं:
J-35 की सफल सिद्धि — यदि सत्य हो — यह दिखाएगी कि चीन स्टेल्थ वायु युद्ध में एक प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी बनने की राह पर है।
अमेरिका को नए विमानों, रडार प्रणालियों और एंटी-स्टेल्थ तकनीकों में और तेजी से नवाचार करना होगा।
युद्ध-कुशलता में प्रदर्शन, लंबी दूरी की संघर्ष क्षमता, नेटवर्क युद्धक क्षमताएँ (network-centric warfare) और बल उत्प्रेरक (force multiplier) तकनीकों का योगदान भी निर्णायक रहेगा।
संक्षिप्त में, अमेरिका अभी अपनी स्टेल्थ श्रेष्ठता पूरी तरह नहीं खो रहा — लेकिन इस दावे ने यह स्पष्ट किया है कि चीन इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है, और अमेरिकी वाजिब जवाबी रणनीति अपनाना अनिवार्य है।
