Source The Hindu
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बुधवार को लगातार दूसरी बार रेपो दर को 5.5% पर अपरिवर्तित रखने का सर्वसम्मत फैसला किया। यह फैसला वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच घरेलू आर्थिक स्थिरता और महंगाई में नरमी के संकेतों को दर्शाता है।
हालांकि, MPC ने वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर के अनुमान को पहले के 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया है, जो मजबूत आर्थिक गतिविधियों का संकेत है। गवर्नर ने कहा कि अच्छे मानसून, सरकार के पूंजीगत व्यय और जीएसटी दरों के युक्तिकरण (rationalisation) से आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा।
महंगाई के मोर्चे पर, RBI ने बड़ा बदलाव करते हुए FY26 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति (Inflation) के अनुमान को पहले के 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया है। यह लगातार नौ महीनों तक महंगाई में गिरावट और खाद्य कीमतों में नरमी के कारण संभव हुआ है।
रेपो रेट को स्थिर रखने का मतलब है कि होम लोन, कार लोन और अन्य कर्जों की ईएमआई (EMI) पर फिलहाल कोई तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा, जिससे उधारकर्ताओं को राहत मिली है। साथ ही, RBI ने संकेत दिया है कि वह भविष्य में दरों में कटौती के लिए तैयार है, अगर मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहती है और विकास दर को समर्थन देने की आवश्यकता होती है।
