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नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच लंबे अंतराल के बाद फिर से सीधी हवाई सेवाएं शुरू होने जा रही हैं। दोनों देशों ने आपसी सहमति से घोषणा की है कि अक्टूबर के अंत तक सीधी उड़ानें बहाल कर दी जाएंगी। इसके साथ ही तकनीकी स्तर पर वार्ताएं भी चल रही हैं, जिनका उद्देश्य द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाना और यात्रियों के लिए बेहतर सुविधा सुनिश्चित करना है।
सूत्रों के अनुसार, यह कदम “पीपल-टू-पीपल कॉन्टैक्ट” (जन-से-जन संपर्क) को मजबूत करने की दिशा में अहम साबित होगा। कोरोना महामारी और उसके बाद के भू-राजनीतिक तनावों के चलते दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें पिछले कई सालों से ठप थीं। इससे न केवल कारोबारी गतिविधियों बल्कि छात्र, पर्यटक और परिवारों के आने-जाने पर भी असर पड़ा था।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि तकनीकी स्तर पर हुई हालिया चर्चाओं का मकसद उड़ानों की बहाली से जुड़े मसलों को हल करना है। इनमें सुरक्षा, एयरलाइंस का शेड्यूल और दोनों देशों के नागरिक उड्डयन नियामकों के बीच समन्वय शामिल है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कदम का उद्देश्य आपसी विश्वास बहाली और रिश्तों को धीरे-धीरे सामान्य करना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सीधी उड़ानों की बहाली न केवल व्यापार और निवेश को गति देगी बल्कि छात्रों और पर्यटकों को भी राहत पहुंचाएगी। चीन में पढ़ाई कर रहे हजारों भारतीय छात्र लंबे समय से नियमित उड़ानों की मांग कर रहे थे। इसी तरह, भारतीय उद्योग जगत भी चीन के साथ व्यापारिक गतिविधियों में सुगमता चाहता था।
उधर, बीजिंग ने भी इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह कदम द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता और आपसी सहयोग को बढ़ावा देगा।
यदि तय योजना के अनुसार उड़ानें अक्टूबर के अंत तक शुरू हो जाती हैं, तो यह दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग को आगे बढ़ाने वाला एक अहम मोड़ साबित होगा।
