Source Swarajyamag
नई दिल्ली: त्योहारी सीज़न की शुरुआत से ठीक पहले भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश की अर्थव्यवस्था में क्रेडिट फ्लो (ऋण प्रवाह) को बढ़ाने, पूंजी बाजार को मजबूत करने और रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण (Internationalisation of Rupee) को गति देने के उद्देश्य से ‘बिग बैंग’ सुधारों की एक श्रृंखला की घोषणा की है। ये 10 प्रमुख घोषणाएँ कॉर्पोरेट जगत से लेकर आम निवेशक तक, सभी के लिए बड़े अवसर पैदा करने का वादा करती हैं।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद इन व्यापक उपायों की घोषणा की, जिसका उद्देश्य बैंकों के लचीलेपन को बढ़ाना और विभिन्न क्षेत्रों के लिए वित्तपोषण की लागत को कम करना है।
ये हैं वे 10 प्रमुख घोषणाएँ जो क्रेडिट को खोल सकती हैं और रुपये को बढ़ावा दे सकती हैं:
शेयरों पर ऋण सीमा में पाँच गुना वृद्धि: व्यक्तिगत उधारकर्ताओं के लिए शेयरों के बदले ऋण (Loan Against Shares – LAS) की अधिकतम सीमा को ₹20 लाख से बढ़ाकर ₹1 करोड़ कर दिया गया है।
IPO फाइनेंसिंग सीमा में वृद्धि: आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) में सब्सक्रिप्शन के लिए बैंक द्वारा दिए जाने वाले ऋण की सीमा को ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹25 लाख प्रति व्यक्ति कर दिया गया है।
सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों पर सीमा समाप्त: सूचीबद्ध डेट सिक्योरिटीज (Listed Debt Securities) के बदले ऋण देने की नियामक सीमा को पूरी तरह से हटा दिया गया है, जिससे निवेशकों को अधिक लचीलापन मिलेगा।
विलय और अधिग्रहण को वित्तपोषण की अनुमति: बैंकों को अब भारतीय कंपनियों द्वारा किए जाने वाले विलय और अधिग्रहण (Mergers & Acquisitions – M&A) को वित्तपोषित करने के लिए एक सक्षम ढाँचा प्रदान किया गया है, जिससे कॉर्पोरेट विस्तार को समर्थन मिलेगा।
बड़े उधारकर्ताओं के लिए नियम आसान: ₹10,000 करोड़ और उससे अधिक की ऋण सीमा वाले बड़े कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं को ऋण देने से हतोत्साहित करने वाले 2016 के ढाँचे को वापस ले लिया गया है, जिससे कॉर्पोरेट ऋण में भारी वृद्धि होने की उम्मीद है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए जोखिम भार में कमी: गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) द्वारा परिचालन, उच्च-गुणवत्ता वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को दिए जाने वाले ऋणों के लिए जोखिम भार (Risk Weights) को कम किया गया है, जिससे बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण की लागत घटेगी।
रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए पहल: भूटान, नेपाल और श्रीलंका के गैर-निवासियों को व्यापार संबंधी लेनदेन के लिए भारतीय रुपये में ऋण देने की अनुमति दी गई है।
वास्ट्रो खाते के उपयोग का विस्तार: विशेष रुपया वास्ट्रो खातों (SRVA) में जमा शेष राशि को अब सरकारी प्रतिभूतियों के अलावा कॉर्पोरेट बॉन्ड और कमर्शियल पेपर में भी निवेश के योग्य बनाया गया है, जो रुपये की वैश्विक विश्वसनीयता बढ़ाएगा।
निर्यातकों के लिए समय-सीमा में विस्तार: IFSC खातों से निर्यात आय के प्रत्यावर्तन (Repatriation) की समय-सीमा को एक महीने से बढ़ाकर तीन महीने किया गया है, जिससे निर्यातकों को राहत मिलेगी।
नए शहरी सहकारी बैंकों के लाइसेंसिंग पर चर्चा: एक दशक से अधिक समय के बाद नए शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के लाइसेंसिंग पर एक चर्चा पत्र जारी करने का प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य छोटे शहरों और कस्बों में बैंकिंग पहुँच बढ़ाना है।
ये सुधार न केवल पूंजी बाजार में तरलता (Liquidity) लाएंगे बल्कि कॉर्पोरेट निवेश और उपभोक्ता खर्च को भी प्रोत्साहित करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इन उपायों से अर्थव्यवस्था को एक मज़बूत प्रोत्साहन मिलेगा, जो चालू त्योहारी मौसम के दौरान सकारात्मक गति बनाए रखेगा और दीर्घकालिक विकास को भी गति देगा।
