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स्टॉकहोम: 6 अक्टूबर, 2025 को फिजियोलॉजी या मेडिसिन के नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद विजेताओं की प्रतिक्रियाएं जुदा-जुदा रहीं। एक तरफ जहाँ कुछ ने इसे ‘खुशी भरा आश्चर्य’ बताया, वहीं एक विजेता का पहला रिएक्शन था, “मज़ाक मत करो (Don’t be ridiculous)!”।
इस साल का प्रतिष्ठित सम्मान तीन वैज्ञानिकों—अमेरिका की मैरी ई. ब्रुनको (Mary E. Brunkow), फ्रेड रामस्डेल (Fred Ramsdell) और जापान के डॉ. शिमोन साकागुची (Dr. Shimon Sakaguchi) को ‘परिधीय प्रतिरक्षा सहिष्णुता’ से संबंधित उनकी अभूतपूर्व खोजों के लिए दिया गया है। यह शोध शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को अपने ही ऊतकों पर हमला करने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
‘स्पैम कॉल’ समझा:
सिएटल में रहने वाली मैरी ई. ब्रुनको को जब नोबेल कमेटी के सचिव-जनरल थॉमस पर्लमैन का कॉल आया, तो उन्होंने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया। ब्रुनको ने बाद में एसोसिएटेड प्रेस (AP) के फोटोग्राफर को बताया, “मेरा फ़ोन बजा और मैंने स्वीडन का एक नंबर देखा और सोचा: ‘यह तो बस, किसी तरह का स्पैम कॉल है’।”
उनके पति रॉस कोलहौन ने ब्रुनको की असल प्रतिक्रिया साझा की: “जब मैंने मैरी को बताया कि उन्होंने पुरस्कार जीता है, तो उन्होंने कहा, ‘मज़ाक मत करो!'”
जापानी पीएम का बधाई कॉल:
जापान के ओसाका विश्वविद्यालय के 74 वर्षीय प्रतिष्ठित प्रोफेसर शिमोन साकागुची ने इस खबर पर अविश्वसनीय रूप से आभार व्यक्त किया। नोबेल समिति के सचिव-जनरल थॉमस पर्लमैन ने बताया कि साकागुची “अविश्वसनीय रूप से आभारी” लग रहे थे।
बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साकागुची ने अपनी जीत को “खुशी भरा आश्चर्य” बताया। उन्होंने विनम्रतापूर्वक कहा कि उन्हें लगा था कि उन्हें “तब तक इंतजार करना होगा जब तक शोध और अधिक योगदान न दे दे।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्हें जापान के प्रधान मंत्री शिगेरू इशिबा का बधाई कॉल भी आया, जिन्होंने उन्हें बधाई दी और कैंसर के इलाज में शोध को लागू करने की समय-सीमा के बारे में पूछा। साकागुची ने जवाब दिया, “उम्मीद है कि हम लगभग 20 वर्षों में उस मुकाम तक पहुँच सकते हैं… तब तक विज्ञान आगे बढ़ चुका होगा और कैंसर अब डरावना नहीं, बल्कि इलाज योग्य होगा।”
तीनों वैज्ञानिकों की इस खोज ने ऑटोइम्यून बीमारियों, कैंसर और ट्रांसप्लांट मेडिसिन के लिए नए उपचारों के विकास का मार्ग प्रशस्त किया है।
