Connect with us

Hi, what are you looking for?

Technology, Finance, Business & Education News in HindiTechnology, Finance, Business & Education News in Hindi

World

पूर्व अफगान उपराष्ट्रपति ने भारतीयों को Darul Uloom Deoband मदरसे के प्रति चेतावनी क्यों दी है?

Source Money control

पूर्व अफगान उपराष्ट्रपति Amrullah Saleh ने हाल ही में हिन्दू त्यौहार दीवाली के मौके पर भारतीयों को शुभकामनाएं देते हुए एक चेतावनी भी जारी की:

> “वर्तमान में कृपया Darul Uloom Deoband मदरसे के प्रति सतर्क रहें।”

यह टिप्पणी तब आई जब Amir Khan Muttaqi, अफगानिस्तान के तालिबानी विदेश मंत्री, यू.पी. के देओबन्द स्थित उस मदरसे में गए थे।

चेतावनी का अतिरिक्त मतलब

Saleh को प्रसिद्ध हैं—वे विरुद्ध है Taliban और पाकिस्तान के प्रभाव के।

उन्होंने इस चेतावनी के माध्यम से भारतीयों को निम्नलिखित तरह के सावधान संकेत दिए हैं:

मदरसे और उसके संस्थापक विचार-धारा की वैश्विक तनाव वाले संदर्भ में समीक्षा करना।

भारत में धार्मिक शिक्षा-संस्थाओं के महत्त्व और संभावित बाहरी प्रभावों पर जागरूक रहना।

देओबन्द मदरसे का नाम आने वाले राजनीतिक-संबंधित चर्चा में आने के कारण उसकी पृष्ठभूमि समझना।

देओबन्द मदरसे का इतिहास और तालिबान से संबंध

Darul Uloom Deoband की स्थापना 1866 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर-जिले में हुई थी।

यह मदरसा इस्लामी शिक्षा-शास्त्रों में एक प्रमुख केंद्र बना और इसके विद्यार्थी पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक फैले।

विशेष रूप से अफगानिस्तान में Deobandi विचार-धारा की मदरसाओं का प्रभाव रहा है।

उदाहरण के लिए, तालिबान के संस्थापक और कई अन्य नेता Deobandi-प्रेरित संस्थानों से जुड़े थे।

हालांकि, देओबन्द मदरसे के नेतृत्व का कहना है कि उनका “तालिबान” से संस्थागत लिंक नहीं है।

क्या खास था इस बार?

तालिबान विदेश मंत्री Muttaqi ने इस साल भारत दौरे पर देओबन्द का दौरा किया और वहाँ हजारों छात्रों-उलमाओं को संबोधित किया।

इस कदम को कुछ लोग “धार्मिक कूटनीति” के रूप में देख रहे हैं — जहाँ भारत-अफगान संबंधों में एक नया आयाम देखा गया।

इस पृष्ठभूमि में Saleh की चेतावनी भारतीय नागरिकों को उस मदरसे-वातावरण की ओर देखते हुए मिली जहाँ विचार-धारा एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध दोनों जटिल हैं।

भारतीय दृष्टिकोण और चिंताएँ

देश में इस घटना पर बहस है: क्या देओबन्द-मदरसे का स्वागत भारत-अफगानियों के बीच सहयोग का संकेत है, या क्या यह विचार-धारा-संबंधित जोखिम भी प्रस्तुत करता है।

प्रसिद्ध लेखक-स्क्रीनराइटर Javed Akhtar ने इस स्वागत को “शर्मनाक” कहा और महिलाओं की शिक्षा पर तालिबान के रुख को उद्धृत किया।

दूसरी ओर मदरसे की ओर से यह दावा किया गया है कि अतिथियों का स्वागत भारतीय आतिथ्य-परंपरा के अनुरूप है, न कि किसी राजनीतिक-संदेश के लिए।

निष्कर्ष

Saleh की चेतावनी इस मायने में महत्वपूर्ण है कि यह सिर्फ धार्मिक-शिक्षण संस्थान का मामला नहीं बल्कि विचार-धारा, शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का एक मिश्रित संयोजन है। देओबन्द मदरसा भारत की धार्मिक-शिक्षण परंपरा का हिस्सा है, लेकिन उसकी पृष्ठभूमि और संबंधों की अलग-सावधानी से समीक्षा करना जरूरी दिख रहा है।

भविष्य में इस विषय पर राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से और गहन चर्चा संभव है।

अगर आप चाहें, तो मैं इस विषय पर मदरसे के पाठ्यक्रम, भारत-अफगान धार्मिक संबंध, या दोष या समर्थन दोनों पक्षों की राय का विश्लेषण भी ला सकता हूँ।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

World

Neque porro quisquam est, qui dolorem ipsum quia dolor sit amet, consectetur, adipisci velit, sed quia non numquam eius modi tempora.

Business

Quis autem vel eum iure reprehenderit qui in ea voluptate velit esse quam nihil molestiae consequatur, vel illum qui dolorem eum fugiat.

Politics

Quis autem vel eum iure reprehenderit qui in ea voluptate velit esse quam nihil molestiae consequatur, vel illum qui dolorem eum.

Finance

Neque porro quisquam est, qui dolorem ipsum quia dolor sit amet, consectetur, adipisci velit, sed quia non numquam eius modi tempora.

Copyright © 2020 ZoxPress Theme. Theme by MVP Themes, powered by WordPress.