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चंद्रमा से लौटी चौंकाने वाली खोज: Chang’e-6 मिशन के नमूनों में मिले दुर्लभ उल्कापिंड खंड

Source tv brics

चीन के वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला निष्कर्ष निकाला है: Chang’e‑6 मिशन द्वारा चंद्रमा के दूरवर्ती पक्ष से लौटाए गए नमूनों में दुर्लभ उल्कापिंड खंड पाए गए हैं।

इन नमूनों में खोजे गए खंड विशेष रूप से “सीआई-चोंड्राइट” (CI chondrite) नामक उल्कापिंड प्रकार से संबंधित हैं — जो पृथ्वी पर भी बेहद कम मात्रा में पाए जाते हैं।

क्या मिला है?

• शोधकर्ताओं ने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव-ऐटन बेसिन (South Pole‑Aitken Basin) से लौटाए गए चंद्र मिट्टी व चट्टानों में कुछ छोटे लेकिन महत्वपूर्ण उल्काखंड (meteorite fragments) पहचान लिए हैं।

• इन खंडों में पाए गए “ओलिविन” खनिज, ऑक्सीजन समस्थानिकों (oxygen isotopes) एवं अन्य तत्वों (लौह, मैंगनीज, जिंक) के अनुपात ने यह संकेत दिया है कि ये खंड चंद्र चट्टान नहीं, बल्कि बाहरी सौर मंडल (outer Solar System) के कार्बोनेटस उल्कापिंडों के समान हैं।

• शोध के अनुसार, ये ऐसे उल्कापिंड हैं जो पानी और जैविक पदार्थों (organic materials) से समृद्ध माने जाते हैं — इसका मतलब है कि ये उल्कापिंड ग्रहों तथा चंद्रमा में पानी और अन्य वाष्पशील तत्व (volatile compounds) पहुंचाने में भूमिका निभा सकते हैं।

क्यों है यह खोज महत्वपूर्ण?

चंद्रमा के दूरवर्ती (फार साइड) भाग में, जहाँ वायुमंडल एवं टेक्टॉनिक गतिविधि नहीं है, पुराने क्षयी (erosion) और जटिल भूगर्भीय प्रक्रियाएँ भी कम हुई हैं — इसलिए वहाँ नमूने एक तरह से “प्राकृतिक अभिलेख” (natural archive) की तरह हैं।

इस खोज से यह संकेत मिलता है कि बाहरी सौर मंडल से निकले उल्कापिंड आकर पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली को प्रभावित कर सकते थे — विशेष रूप से पानी और जैविक तत्वों के संदर्भ में।

भविष्य में चंद्रमा पर पानी संसाधन (lunar water resources) और चंद्रमा-पृथ्वी प्रणाली के विकास (evolution) को समझने में इस तरह के नमूने नए दिशा-निर्देश प्रदान कर सकते हैं।

शोध दल और विवरण

इस अध्ययन का नेतृत्व चीन की Guangzhou Institute of Geochemistry तथा Chinese Academy of Sciences ने किया है। अध्ययन वैज्ञानिक पत्रिका Proceedings of the National Academy of Sciences में प्रकाशित हुआ है।

आगे क्या होगा?

शोधकर्ता अब निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान दे रहे हैं:

नमूनों में पाए गए उल्कापिंड खंडों की रासायनिक संरचना (mineral composition) और समस्थानिक विश्लेषण को और गहराई से समझना।

उन प्रक्रियाओं को खोजना जिनके तहत बाहरी सौर मंडल के आइस-समृद्ध उल्कापिंड चंद्रमा तथा पृथ्वी तक पहुंचे।

चंद्रमा पर पानी तथा अन्य वाष्पशील पदार्थों (volatiles) के स्रोत व वितरण को बेहतर रूप से समझना।

इस प्रकार, यह खोज न केवल चंद्रमा की भूविज्ञान (lunar geology) को बेहतर समझने में सहायक होगी, बल्कि सौर मंडल की शुरुआती अवस्था (early Solar System) तथा ग्रहों के गठन (planetary formation) के सवालों को भी रोशन करेगी।

अगर चाहें, तो मैं इस शोध का वैज्ञानिक पेपर लिंक खोज सकता हूँ या इसकी मुख्य तकनीकी निष्कर्षों का सार (summary) भी हिंदी में तैयार कर सकता हूँ।

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