Source The guardian
El Fasher (उत्तरी दारफूर, Sudan) में हाल-ही में सामने आए उपग्रह चित्र और वीडियो फुटेज ने एक भयावह सच उजागर किया है — हजारों बेगुनाह नागरिकों की जानें चली गईं, और यह सब उस समय हुआ जब दुनिया चुप थी।
क्या हुआ?
पैरा-मिलिट्री समूह Rapid Support Forces (RSF) ने अक्टूबर 2025 में El Fasher पर कब्ज़ा कर लिया; यह शहर दारफूर क्षेत्र में सेना के अन्तिम गढ़ों में से था।
बाद में उपग्रह चित्रों ने यह दिखाया कि शहर में बने अनेक समूहों के आकार 1.3–2 मीटर के हैं — जो मानव शरीर के आकार के अनुरूप हैं।
जमीन पर लाल-भूरे दाग दिखाई दिए — जो कि संभवतः खून का निशान हो सकते हैं।
अस्पताल में भी कम-से-कम 460 लोगों के मारे जाने का दावा किया गया है।
क्यों यह लिए विशेष रूप से चिंताजनक है?
उपग्रह चित्रों से पता चलता है कि यह सिर्फ युद्ध नहीं, बल्कि सिस्टमैटिक हत्याओं और जातीय सफाई (ethnic cleansing) का संकेत हो सकता है — खासकर गैर-अरब समुदायों के खिलाफ।
यह इलाका लंबे समय से संघर्ष से जूझ रहा है – और यह घटना उस इतिहास को दुहराती दिख रही है जिसने दारफूर में पहले भी त्रासदी को जन्म दिया था।
उपग्रह ही अब मूल स्रोत बन गया है जब मानव पत्रकारों की पहुँच बंद या सीमित है। संवाद कट गया, सीमित पहुँच है।
दुनिया कहाँ खड़ी है?
विश्लेषकों का कहना है कि —
> “यह पहली बार है कि मैंने ऐसे पैमाने पर उपग्रह चित्रों में खून के दाग देखे हैं।” — विश्लेषक नाथनियल रेमंड
लेकिन इसके बावजूद, वैश्विक प्रतिक्रिया अभी तक पर्याप्त नहीं दिखी। वार्ता चल रही है, लेकिन कार्रवाई का दायरा और असर कम है।
अब क्या करना चाहिए?
अंतर्राष्ट्रीय निगरानी और निष्पक्ष जांच की मांग ज़रूरी है — यूएन सहित अन्य संस्थाएँ इसे युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध मान रही हैं।
मीडिया, नागरिक समाज और सरकारों को जिम्मेदारी उठानी होगी: सिर्फ देखने से काम नहीं चलेगा।
यहीं ठहरने का समय नहीं — क्योंकि तस्वीरें कहती हैं कि अगर आज रोका नहीं गया तो जानें और जाएंगी।
दुनिया कितने देर तक देखते-देखते चुप रहेगी? इस प्रश्न का उत्तर इस वक्त हम में से हर एक से जुड़ा है।
