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लंदन। दुनिया के सबसे अमीर भारतीय मूल के उद्योगपतियों में शुमार गोपीचंद हिंदुजा का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वे हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन और परिवार के मुखिया थे। उनके निधन से भारत और ब्रिटेन दोनों में व्यापार जगत ने एक महान दूरदर्शी नेता को खो दिया है।
गोपीचंद हिंदुजा, जिन्हें प्यार से “गोपी” कहा जाता था, ने अपने भाई श्रीचंद हिंदुजा (जो 2023 में निधन हो चुके हैं) के साथ मिलकर हिंदुजा ग्रुप को एक वैश्विक व्यापार साम्राज्य में बदल दिया। इस समूह की शुरुआत उनके पिता पी.डी. हिंदुजा ने 1914 में मुंबई से की थी, लेकिन आज यह लंदन, दुबई और जिनेवा जैसे शहरों में फैला हुआ है।
हिंदुजा ग्रुप के कारोबार कई क्षेत्रों में फैले हुए हैं — ऑटोमोबाइल, बैंकिंग, ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, रियल एस्टेट और आईटी सेवाएं प्रमुख हैं। भारत में कंपनी का सबसे बड़ा ब्रांड अशोक लेलैंड (Ashok Leyland) है, जो देश की दूसरी सबसे बड़ी वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनी है।
गोपीचंद हिंदुजा को उनके दूरदर्शी नेतृत्व, सामाजिक योगदान और भारतीय मूल्यों से गहरे लगाव के लिए जाना जाता था। वे ब्रिटेन में बसे होने के बावजूद भारतीय संस्कृति से गहराई से जुड़े रहे। उनका मानना था कि “व्यापार का उद्देश्य केवल लाभ कमाना नहीं, बल्कि समाज को वापस देना भी है।”
हिंदुजा परिवार कई दशकों से ब्रिटेन के सबसे धनी परिवारों में से एक रहा है। 2024 की ‘Sunday Times Rich List’ के अनुसार, हिंदुजा भाइयों की कुल संपत्ति 37 अरब पाउंड से अधिक आंकी गई थी।
गोपीचंद हिंदुजा के निधन के बाद परिवार और समूह की बागडोर अब उनके पुत्र संजय हिंदुजा और परिवार के अन्य सदस्यों के हाथ में होगी। उद्योग जगत के लोगों का कहना है कि हिंदुजा की विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।
