Source The economics Times
मुंबई: टाटा ट्रस्ट्स को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने एक नया नियम लागू किया है, जो संस्थाओं में ट्रस्टी नियुक्ति और संचालन प्रक्रिया पर सीधा असर डाल सकता है। इस बदलाव को लेकर उद्योग जगत में हलचल है, क्योंकि इसे टाटा ट्रस्ट्स के भविष्य के संचालन और प्रशासनिक स्वतंत्रता पर प्रभाव डालने वाला कदम माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत किसी भी चैरिटेबल ट्रस्ट में नए ट्रस्टी की नियुक्ति से पहले राज्य के चैरिटी कमिश्नर से पूर्व अनुमोदन आवश्यक होगा। अब तक ट्रस्ट्स को आंतरिक रूप से ही ट्रस्टी नियुक्त करने की स्वतंत्रता थी।
इस नए नियम का सीधा असर टाटा ट्रस्ट्स जैसी बड़ी परोपकारी संस्थाओं पर पड़ेगा, जिनका संचालन और नेतृत्व लंबे समय से स्वायत्त रूप से होता आया है। टाटा ट्रस्ट्स, जो टाटा संस में प्रमुख हिस्सेदारी रखते हैं, कई सामाजिक और विकासात्मक परियोजनाओं के लिए जाने जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया हो सकता है, लेकिन इससे संस्थागत स्वायत्तता पर असर पड़ सकता है। एक वरिष्ठ उद्योग विश्लेषक ने कहा, “टाटा ट्रस्ट्स जैसी संस्थाएं देश की सबसे विश्वसनीय चैरिटेबल संस्थाओं में से एक हैं। इस तरह के नियम उनकी निर्णय प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं।”
हालांकि, राज्य सरकार का तर्क है कि नए नियम का उद्देश्य ट्रस्टों के संचालन में जवाबदेही और पारदर्शिता लाना है, ताकि किसी भी वित्तीय या प्रशासनिक गड़बड़ी की संभावना को कम किया जा सके।
टाटा ट्रस्ट्स की ओर से इस नए नियम पर कोई आधिकारिक बयान अभी तक नहीं आया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि संगठन जल्द ही राज्य सरकार के साथ बातचीत कर सकता है ताकि नियम के व्यावहारिक पहलुओं पर स्पष्टता हासिल की जा सके।
यह निर्णय उस समय आया है जब टाटा ट्रस्ट्स देशभर में कई नई परियोजनाओं की योजना बना रहा है, जिनमें स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास से जुड़ी पहलें शामिल हैं।
