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‘डोंट हैव टैलेंटेड पीपल’: ट्रंप का बयान और $1 लाख शुल्क पर राहत का स्पष्टीकरण
हाल के दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीज़ा (H-1B Visa) नियमों को सख्त करने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन कुछ बयान और बाद के स्पष्टीकरणों ने वीज़ा आवेदकों और तकनीकी पेशेवरों के बीच नरमी की उम्मीद जगाई है।
सख्त नियमों का पहला झटका
सितंबर 2025 में, ट्रंप प्रशासन ने एक उद्घोषणा के माध्यम से नए एच-1बी वीज़ा आवेदनों के लिए $100,000 (लगभग ₹88 लाख) का भारी-भरकम शुल्क अनिवार्य कर दिया था। यह नियम उन विदेशी नागरिकों पर लागू किया गया, जो अमेरिका से बाहर रहते हुए नए वीज़ा के लिए आवेदन कर रहे हैं। इस कदम का उद्देश्य अमेरिका के श्रमिकों को नौकरियों से विस्थापित होने से बचाना और वीज़ा कार्यक्रम के दुरुपयोग को रोकना बताया गया था।
ट्रंप का कड़ा रुख़:
इस घोषणा पर हस्ताक्षर करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था, “हम चाहते हैं कि हमारी नौकरियाँ हमारे नागरिकों को मिलें। हमें अच्छे कामगार चाहिए और यह कदम उसी दिशा में है।” उन्होंने कहा था कि एच-1बी दुनिया का सबसे दुरुपयोग किया जाने वाला वीज़ा है और अब अमेरिका में केवल अत्यधिक कुशल लोग ही आएंगे।
नरम पड़ने के संकेत और स्पष्टीकरण
भारी शुल्क की घोषणा के बाद उपजे भ्रम और चिंता को दूर करने के लिए, अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (USCIS) ने अक्टूबर 2025 में एक स्पष्टीकरण जारी किया।
किन्हें मिली राहत: USCIS ने स्पष्ट किया कि $100,000 का शुल्क उन मौजूदा वीज़ा धारकों पर लागू नहीं होगा, जो अमेरिका में पहले से ही हैं और अपने दर्जे को बदलना (जैसे F-1 से H-1B), नवीनीकृत करना या बढ़ाना चाहते हैं।
भारतीयों को बड़ी राहत: यह स्पष्टीकरण उन भारतीय छात्रों और तकनीकी पेशेवरों के लिए बड़ी राहत लेकर आया, जो अमेरिका में विदेशी छात्रों के सबसे बड़े समूह हैं और एच-1बी वीज़ा धारकों में लगभग 70% की हिस्सेदारी रखते हैं।
‘टैलेंटेड लोगों की जरूरत’ पर ट्रंप का बयान
सख्त नियमों के बावजूद, राष्ट्रपति ट्रंप ने कुछ मौकों पर ऐसे बयान दिए हैं जो प्रतिभाशाली विदेशी कर्मचारियों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। ऐसी ही एक रिपोर्ट में उनके एक बयान का हवाला दिया गया, जहाँ उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से टैलेंटेड लोगों को अमेरिका लाने की ज़रूरत पर बल दिया और कहा कि देश सिर्फ़ दीर्घकालिक बेरोज़गारों पर निर्भर नहीं रह सकता।
यह विरोधाभासी स्थिति दर्शाती है कि जहाँ एक ओर ट्रंप प्रशासन अमेरिकी श्रमिकों की रक्षा के लिए वीज़ा नियमों को कड़ा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर वह यह भी महसूस कर रहा है कि देश को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे रहने के लिए उच्च-कुशल विदेशी प्रतिभा की आवश्यकता है।
