SOURCE India Today
उत्तर प्रदेश, 16 जुलाई, 2025: हाल ही में हुई एक दुखद एयर इंडिया दुर्घटना ने विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल पर एक बार फिर गंभीर बहस छेड़ दी है, जिसमें कॉकपिट में कैमरे लगाने की मांग प्रमुखता से उठाई जा रही है। यह मांग विशेष रूप से दुर्घटना के कारणों की जांच में पारदर्शिता और सटीकता बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही है, जो अक्सर “ब्लैक बॉक्स” डेटा की व्याख्या की जटिलता के कारण चुनौती भरा हो जाता है।
विमानन विशेषज्ञों और पीड़ित परिवारों का तर्क है कि कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करते हैं, लेकिन एक दृश्य रिकॉर्ड की अनुपस्थिति कई अनुत्तरित प्रश्न छोड़ देती है। एक कॉकपिट वीडियो रिकॉर्डर (CVR) पायलटों के कार्यों, गेज रीडिंग्स और किसी भी अनपेक्षित घटना का एक स्पष्ट दृश्य प्रदान कर सकता है, जिससे जांचकर्ताओं को दुर्घटना से पहले के क्षणों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
एयर इंडिया की हालिया दुर्घटना, जिसके विवरण अभी भी जांच के अधीन हैं, ने इस बहस को और तेज़ कर दिया है। प्रारंभिक रिपोर्टों में कई विसंगतियों का उल्लेख किया गया है, जिसने कॉकपिट के अंदर क्या हुआ, इसकी पूरी तस्वीर प्राप्त करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। एक पीड़ित परिवार के सदस्य ने भावुक होकर कहा, “हमें यह जानने का अधिकार है कि हमारे प्रियजनों के साथ क्या हुआ। एक कैमरा कम से कम यह स्पष्ट कर सकता है कि क्या कोई मानवीय त्रुटि थी या यांत्रिक विफलता।”
हालांकि, इस मांग का विरोध करने वाले भी हैं, विशेष रूप से पायलट संघों की ओर से। वे गोपनीयता के उल्लंघन और पायलटों पर अनुचित दबाव पड़ने की आशंका व्यक्त करते हैं। एक वरिष्ठ पायलट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “कॉकपिट पायलटों का कार्यक्षेत्र है, और हर पल फिल्माया जाना उनके प्रदर्शन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इससे अनावश्यक तनाव पैदा होगा।” उनका तर्क है कि मौजूदा रिकॉर्डिंग उपकरण पर्याप्त हैं और सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए अन्य उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, जैसे बेहतर प्रशिक्षण और थकान प्रबंधन।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने अभी तक इस मामले पर कोई अंतिम रुख नहीं अपनाया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, सरकार विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय विमानन संगठनों, जैसे अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO), ने भी इस मुद्दे पर चर्चा की है, लेकिन अभी तक कोई वैश्विक जनादेश जारी नहीं किया गया है।
यह देखना बाकी है कि क्या एयर इंडिया दुर्घटना कॉकपिट में कैमरों को एक वास्तविकता में बदलने के लिए पर्याप्त दबाव बनाएगी। हालांकि, एक बात स्पष्ट है: विमानन सुरक्षा को लेकर यह बहस आने वाले समय में भी जारी रहेगी, और पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग बढ़ती रहेगी।
