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बिहार में अमित शाह बनाम राहुल गांधी: हमले हुए तेज, प्रमुख बातें

Source Mint

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election 2025) के लिए प्रचार ज़ोरों पर है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के शीर्ष नेताओं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी-अपनी पार्टियों के लिए प्रचार करते हुए एक-दूसरे पर तीखे हमले किए। यहाँ उनके अभियान की कुछ प्रमुख बातें दी गई हैं:

🔥 अमित शाह के हमले: ‘जंगल राज’ और ‘घुसपैठिया बचाओ यात्रा’

अमित शाह ने अपनी रैलियों में महागठबंधन (Mahagathbandhan) और विशेष रूप से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पर तीखे प्रहार किए।

वंशवाद और भ्रष्टाचार: शाह ने लालू यादव और कांग्रेस पर वंशवादी राजनीति और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कटाक्ष किया कि लालू यादव अपने बेटे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और सोनिया गांधी अपने बेटे राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाना चाहती हैं, लेकिन “दोनों पद खाली नहीं हैं।”

‘जंगल राज’ का डर: उन्होंने बिहार की जनता को आगाह किया कि अगर महागठबंधन की सरकार बनी तो राज्य में एक बार फिर ‘जंगल राज’ (Lawlessness) लौट आएगा।

घुसपैठियों पर निशाना: शाह ने राहुल गांधी की पिछली यात्रा को “घुसपैठिया बचाओ यात्रा” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और लालू यादव अवैध घुसपैठियों को वोटर लिस्ट में बनाए रखकर उन्हें संरक्षण देना चाहते हैं, जबकि एनडीए सरकार बिहार के विकास के लिए काम कर रही है।

एनडीए की तुलना: शाह ने एनडीए को ‘पंच पांडव’ जैसा मजबूत गठबंधन बताया।

🎯 राहुल गांधी के पलटवार: बेरोजगारी और सुशासन मॉडल

राहुल गांधी ने अपनी जनसभाओं में बेरोजगारी, पलायन और राज्य सरकार के सुशासन मॉडल को निशाना बनाया।

युवा और रोजगार: राहुल गांधी ने बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बनाया। उन्होंने कहा कि युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है और उन्हें रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ रहा है।

सरकार का मॉडल: उन्होंने कथित रूप से बिहार की एनडीए सरकार के ‘सुशासन मॉडल’ की विफलता को उजागर किया।

चीन निर्मित वस्तुओं का बहिष्कार: राहुल गांधी ने ‘मेक इन इंडिया’ की तर्ज पर ‘मेड इन बिहार’ का आह्वान किया, जिसमें मोबाइल, शर्ट, पैंट जैसी वस्तुओं का उत्पादन राज्य में होने और स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलने पर जोर दिया गया।

🔑 मुख्य निष्कर्ष (Key Takeaways)

मुद्दों की टकराव: चुनाव प्रचार में मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा/घुसपैठ बनाम स्थानीय मुद्दे (बेरोजगारी, विकास) का टकराव देखने को मिला।

व्यक्तिगत हमले: नेताओं ने एक-दूसरे पर वंशवाद और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए व्यक्तिगत हमलों का सहारा लिया।

जंगल राज का भय: बीजेपी ‘जंगल राज’ की वापसी का डर दिखाकर वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है, जबकि महागठबंधन एंटी-इनकंबेंसी और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

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