नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चिप आयात पर नए शुल्क लगाने की धमकी के बाद एशिया-प्रशांत के शेयर बाज़ारों में मिला-जुला रुख देखने को मिला। निवेशकों ने ट्रंप के इस कदम के संभावित प्रभावों का आकलन करने की कोशिश की, जिससे बाज़ारों में उतार-चढ़ाव देखा गया।
कई बाज़ारों में, विशेषकर उन देशों में जो प्रौद्योगिकी और सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा हैं, निवेशकों ने सतर्कता बरती। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि नए शुल्क से वैश्विक व्यापार में तनाव बढ़ सकता है, जिससे कंपनियों के मुनाफे और अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। हालांकि, कुछ बाज़ारों में शुरुआती गिरावट के बाद सुधार भी देखा गया, क्योंकि कुछ निवेशकों को उम्मीद है कि ये टैरिफ पूरी तरह से लागू नहीं होंगे या उन पर बातचीत हो सकती है।
जापान का निक्केई 225 और दक्षिण कोरिया का कोस्पी जैसे सूचकांकों में उतार-चढ़ाव रहा, जो वैश्विक प्रौद्योगिकी आपूर्ति श्रृंखलाओं से निकटता से जुड़े हुए हैं। दूसरी ओर, कुछ अन्य बाज़ारों में मामूली बढ़त देखी गई, क्योंकि निवेशकों ने घरेलू कारकों और अन्य आर्थिक समाचारों पर ध्यान केंद्रित किया। विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में स्थिति स्पष्ट होगी, जब अमेरिका और अन्य देशों के बीच व्यापार वार्ता के बारे में और जानकारी सामने आएगी।
इस बीच, भारत के बाज़ारों में भी सतर्कता का माहौल है। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ का सीधा प्रभाव मुख्य रूप से उन देशों पर पड़ेगा जो सीधे तौर पर चिप आयात-निर्यात में शामिल हैं, लेकिन वैश्विक व्यापार तनाव से भारत भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकता है। फिलहाल निवेशक अमेरिकी प्रशासन की अगली घोषणाओं और विश्व व्यापार संगठन (WTO) की प्रतिक्रिया पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं।
