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क्वेटा, बलूचिस्तान: बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती ने हाल ही में हुई एक दंपति की ऑनर किलिंग (Honor Killing) की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि “किसी को भी इस तरह दर्दनाक और घिनौने तरीके से किसी की जान लेने का कोई हक नहीं है, और फिर उसकी वीडियो बनाना तो एक अपराध है। यह एक हत्या है।” इस मामले में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें एक आदिवासी सरदार भी शामिल है।
यह घटना तब सामने आई जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें बानो बीबी और अहसानुल्लाह नामक एक दंपति को कथित तौर पर शादी करने के “अपराध” में गोली मारते हुए दिखाया गया था। बताया जा रहा है कि यह ऑनर किलिंग मई में क्वेटा के पास हुई थी।
पुलिस के मुताबिक, दंपति को एक स्थानीय आदिवासी सरदार के सामने पेश किया गया था, जिसने उन्हें “अनैतिक संबंध” में लिप्त होने का दोषी ठहराया और उनकी हत्या का आदेश दिया। हालांकि, पुलिस प्रमुख नवीन अख्तर ने यह भी कहा कि आदिवासी सरदार ने हत्या का आदेश तब दिया जब दुल्हन के भाई ने शिकायत की कि उसने उसकी सहमति के बिना शादी की है।
इस बर्बर घटना ने पूरे पाकिस्तान में आक्रोश पैदा कर दिया है, जिसमें नागरिक समाज, धार्मिक विद्वान और राजनीतिक नेताओं ने दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग की है। मुख्यमंत्री बुगती ने आश्वासन दिया है कि सभी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि चूंकि दंपति के परिवार से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई थी, इसलिए राज्य ने खुद शिकायतकर्ता की भूमिका निभाई है और आतंकवाद विरोधी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
पुलिस जांच में तेजी लाई गई है और राष्ट्रीय पहचान डेटाबेस (NADRA) और वाहन डेटा का उपयोग करके अन्य संदिग्धों की पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि वे इस मामले में और गिरफ्तारियां होने की उम्मीद कर रहे हैं, जिसमें बानो बीबी का भाई भी शामिल है, जिसे हत्याओं का संदिग्ध माना जा रहा है और वह अभी भी फरार है।
यह घटना पाकिस्तान में ऑनर किलिंग के बढ़ते मामलों को उजागर करती है, जहां हर साल सैकड़ों महिलाओं को ऐसे कृत्यों का शिकार बनाया जाता है। मानवाधिकार आयोग पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में देश में ऑनर किलिंग के कम से कम 405 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से अधिकांश महिलाएं थीं। इस घटना ने एक बार फिर ऐसे जघन्य अपराधों को रोकने और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूत कानूनी ढांचे और प्रवर्तन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
