SOURCE The Hindu
नई दिल्ली: देश भर की 10 प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और विभिन्न किसान संगठनों के संयुक्त मंच ने आज (बुधवार, 9 जुलाई 2025) केंद्र सरकार की “मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों” के खिलाफ एक दिवसीय ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। इस देशव्यापी हड़ताल में बैंकिंग, डाक सेवा, खनन, निर्माण और परिवहन जैसे प्रमुख क्षेत्रों के 25 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और ग्रामीण मजदूरों के शामिल होने की उम्मीद है, जिससे सामान्य जनजीवन पर व्यापक असर देखा जा रहा है।
हड़ताल के प्रमुख कारण और मांगें:
ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि सरकार उनकी लंबे समय से लंबित 17-सूत्रीय मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है। प्रमुख मांगों में चार नए श्रम संहिताओं (लेबर कोड) को रद्द करना शामिल है, जिनके बारे में यूनियनों का कहना है कि ये श्रमिकों के कई अधिकारों को छीनते हैं, हड़ताल करने के अधिकार को कमजोर करते हैं और काम के घंटे बढ़ाते हैं। इसके अलावा, वे ठेका प्रणाली को समाप्त करने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण को रोकने और न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करने की मांग कर रहे हैं।
किसान संगठन भी स्वामीनाथन आयोग के C2+50% सूत्र के आधार पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और किसानों के लिए ऋण माफी की मांग के साथ इस बंद का समर्थन कर रहे हैं। यूनियनों का यह भी आरोप है कि पिछले 10 वर्षों से वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं किया गया है, जो श्रमिकों से संबंधित महत्वपूर्ण चर्चाओं के लिए एक मंच है।
देशभर में असर:
बैंकिंग सेवाएं: बैंक कर्मचारी यूनियनों के हड़ताल में शामिल होने के कारण बैंकिंग सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। कई जगहों पर बैंक शाखाएं बंद हैं या कामकाज धीमा है।
परिवहन: सार्वजनिक परिवहन सेवाओं, विशेषकर सरकारी बसों और कुछ टैक्सियों पर असर देखा जा रहा है। पश्चिम बंगाल, केरल और ओडिशा जैसे राज्यों में परिवहन बाधित हुआ है। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़क और रेल सेवाएं बाधित करने का भी प्रयास किया।
बिजली आपूर्ति: बिजली विभाग के कर्मचारियों के भी हड़ताल में शामिल होने की आशंका है, जिससे कुछ क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति में दिक्कतें आ सकती हैं।
खनन और औद्योगिक क्षेत्र: कोयला खनन, इस्पात और अन्य खनिज क्षेत्रों में भी श्रमिकों की भागीदारी से कामकाज प्रभावित होने की खबर है।
स्कूल और कॉलेज: अधिकांश राज्यों में स्कूल, कॉलेज और निजी कार्यालय खुले रहने की संभावना है, लेकिन परिवहन में व्यवधान के कारण छात्रों की उपस्थिति कम रह सकती है।
बाजार और दुकानें: कुछ राज्यों में दुकानें और बाजार बंद देखे गए, खासकर उन क्षेत्रों में जहां हड़ताल का व्यापक असर है।
विभिन्न राज्यों की स्थिति:
पश्चिम बंगाल, केरल और ओडिशा में बंद का व्यापक असर देखा गया है, जहां सड़कों पर प्रदर्शनकारी उतरे और जनजीवन बाधित हुआ। हालांकि, कई अन्य राज्यों में प्रभाव मिला-जुला रहा है। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और पुलिस बल को संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
यह देखना बाकी है कि सरकार इन मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या यह एक दिवसीय हड़ताल सरकार की नीतियों में बदलाव लाने में सफल होगी।
