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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। एग्जिट पोल के अनुमानों को दरकिनार करते हुए, NDA ने 200 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाकर एकतरफा बहुमत हासिल किया। इस प्रचंड जीत के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं, जिन्होंने महागठबंधन के तमाम प्रयासों को फीका कर दिया।
यहां NDA की इस बड़ी सफलता के 5 प्रमुख कारण दिए गए हैं:
1. महिला मतदाताओं का अभूतपूर्व समर्थन और कल्याणकारी योजनाएँ
NDA की जीत में महिला मतदाताओं की भूमिका निर्णायक रही। इस बार महिला वोटरों ने पुरुषों के मुकाबले रिकॉर्ड मतदान किया (लगभग 72\% बनाम 63\%)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘सुशासन बाबू’ की छवि, महिला-केंद्रित योजनाएँ (जैसे मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना के तहत ₹10,000 की सीधी सहायता, जीविका मॉडल) और सुरक्षित माहौल ने महिला वोटरों का अटूट विश्वास NDA के पक्ष में बनाए रखा।
2. ‘डबल इंजन’ सरकार पर जनता का भरोसा
बिहार की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार यानी ‘डबल इंजन’ की स्थिरता और विकास के एजेंडे पर मुहर लगाई। केंद्र की गरीब कल्याण योजनाएँ (जैसे मुफ्त राशन, आवास योजनाएँ) और राज्य के बुनियादी ढाँचे के विकास ने मतदाताओं को आश्वस्त किया कि गठबंधन ही राज्य को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ा सकता है।
3. जातिगत समीकरण का सफल संतुलन
NDA ने इस चुनाव में अपने पारंपरिक वोट बैंक के साथ-साथ अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और कुर्मी/कोयरी जैसे समुदायों को साधने में बड़ी सफलता हासिल की। BJP और JDU के बीच सीटों का नया संतुलन और चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को साथ लेने की सफल रणनीति ने गठबंधन के सामाजिक आधार को व्यापक किया। चिराग पासवान ने कई सीटों पर जीत हासिल करके अपनी उपयोगिता साबित की।
4. महागठबंधन की रणनीति और नेतृत्व में समन्वय की कमी
इसके विपरीत, महागठबंधन की रणनीति में कई खामियाँ रहीं। कांग्रेस का निराशाजनक प्रदर्शन, राजद का टिकट वितरण सही न होना, और मुस्लिम-यादव समीकरण का पूरी तरह से काम न कर पाना महागठबंधन की हार के प्रमुख कारण बने। महागठबंधन के पास NDA की तरह कोई सर्वमान्य और अनुभवी स्थिर चेहरा नहीं था, जिसने मतदाताओं में भ्रम पैदा किया।
5. JDU का मजबूत प्रदर्शन और नीतीश कुमार की प्रासंगिकता
2020 के मुकाबले जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) ने इस बार सीटों की संख्या में मजबूत बढ़त हासिल की। इस परिणाम ने यह स्थापित कर दिया कि गठबंधन की राजनीति में नीतीश कुमार का नेतृत्व आज भी NDA के लिए अपरिहार्य है। JDU न केवल अपने कोर वोट-बेस को बचाने में सफल रही, बल्कि गठबंधन की जीत में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में उभरी।
NDA की यह ऐतिहासिक जीत बिहार की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत का संकेत है, जहाँ सुशासन, महिला सशक्तिकरण और विकास के एजेंडे ने जातिगत और तात्कालिक राहत की राजनीति को पीछे छोड़ दिया है।
