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महाराष्ट्र के बाद अब आंध्र में नए चिप प्लांट को केंद्र की मंज़ूरी मिलने से तेलंगाना में नाराज़गी फैल गई है। तेलंगाना सरकार ने इस फैसले को ‘तरफदारी का हैरान करने वाला प्रदर्शन’ करार दिया है। उनका कहना है कि जबकि तेलंगाना भी एक मजबूत दावेदार था और उसने इस परियोजना के लिए बेहतर प्रोत्साहन और बुनियादी ढाँचा पेश किया था, फिर भी केंद्र ने आंध्र प्रदेश को चुना।
तेलंगाना के उद्योग मंत्री के टी रामाराव ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार लगातार तेलंगाना के साथ भेदभाव कर रही है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह फैसला न केवल तेलंगाना के लिए एक झटका है, बल्कि यह देश के संघीय ढांचे के लिए भी चिंताजनक है। उन्होंने सवाल उठाया कि किस आधार पर आंध्र प्रदेश को प्राथमिकता दी गई, जबकि तेलंगाना ने इस क्षेत्र में काफी प्रगति की है और निवेशकों के लिए एक अनुकूल माहौल बनाया है।
सूत्रों के अनुसार, तेलंगाना सरकार ने केंद्र को कई बार अपने प्रस्ताव भेजे थे, जिसमें उन्होंने चिप निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए अपनी नीतियों और सुविधाओं का विस्तृत विवरण दिया था। उन्होंने यह भी दावा किया था कि उनके पास कुशल कार्यबल और आवश्यक कनेक्टिविटी उपलब्ध है, जो इस तरह के उच्च तकनीकी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है।
हालांकि, केंद्र सरकार ने अभी तक इस फैसले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। माना जा रहा है कि आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए विशेष प्रोत्साहन पैकेज और भूमि उपलब्धता के कारण केंद्र ने यह निर्णय लिया होगा।
तेलंगाना में विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार का समर्थन किया है और केंद्र के इस फैसले की आलोचना की है। उनका कहना है कि यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि केंद्र तेलंगाना के विकास में कोई रुचि नहीं रखता है। उन्होंने राज्य सरकार से इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने और केंद्र पर दबाव बनाने की मांग की है।
इस घटनाक्रम से तेलंगाना और केंद्र के बीच पहले से चले आ रहे तनाव और बढ़ने की संभावना है। राज्य सरकार अब आगे क्या कदम उठाती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। क्या वे केंद्र से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करेंगे या फिर वे इस मुद्दे को लेकर कोई और राजनीतिक रणनीति अपनाएंगे? फिलहाल, तेलंगाना में इस फैसले को लेकर गहरा असंतोष है और यह राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आ सकता है।
