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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली-एनसीआर से आवारा कुत्तों को हटाने का निर्देश दिया था, जिस पर अब मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने दोबारा विचार करने का संकेत दिया है। बुधवार को एक वकील ने इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के सामने उठाया, जिस पर CJI ने कहा, “मैं इस पर गौर करूंगा।”
यह मामला तब सामने आया जब वकील ने 11 अगस्त को न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ द्वारा पारित आदेश पर आपत्ति जताई। इस आदेश में दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद के नगर निकायों को सभी आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़कर शेल्टर होम में रखने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक हित में और बच्चों को कुत्ते के काटने से बचाने के लिए यह कदम उठाना जरूरी है।
वकील ने मुख्य न्यायाधीश को बताया कि सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने मई 2024 में एक अलग आदेश दिया था, जिसमें आवारा कुत्तों को मारने या हटाने पर रोक लगाई गई थी और कहा गया था कि “सभी जीवित प्राणियों के प्रति दयाभाव एक संवैधानिक मूल्य है।” वकील ने एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) नियमों, 2023 का भी हवाला दिया, जो यह कहता है कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उसी स्थान पर वापस छोड़ देना चाहिए जहां से उन्हें पकड़ा गया था।
मुख्य न्यायाधीश गवई का यह बयान पशु प्रेमियों और कार्यकर्ताओं के लिए एक बड़ी राहत है, जिन्होंने हाल के आदेश का कड़ा विरोध किया था। उनका मानना है कि यह आदेश क्रूर और अव्यवहारिक है। उनका तर्क है कि नगर पालिकाओं के पास इतने कुत्तों को रखने के लिए पर्याप्त शेल्टर होम और संसाधन नहीं हैं। दूसरी ओर, कई रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWAs) ने इस आदेश का स्वागत किया था, क्योंकि वे आवारा कुत्तों के हमलों और रेबीज के बढ़ते मामलों से परेशान थे।
अब जब मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले पर दोबारा गौर करने का आश्वासन दिया है, तो यह उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट दोनों conflicting आदेशों और सभी पक्षों की चिंताओं को ध्यान में रखकर कोई फैसला सुनाएगा।
