Source India Today
नई दिल्ली: हाल ही में जीएसटी काउंसिल द्वारा कई दैनिक उपभोग की वस्तुओं (daily-use goods) पर जीएसटी दरों में कटौती के बावजूद, फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनियों ने साफ कर दिया है कि वे ₹5, ₹10 और ₹20 जैसे लोकप्रिय मूल्य वाले पैकेटों की एमआरपी (MRP) को कम नहीं करेंगी। कंपनियों ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) को बताया है कि ऐसा करने से भारतीय उपभोक्ताओं के मनोवैज्ञानिक मूल्य ढांचे (psychological price structure) को नुकसान होगा, जो लंबे समय से इन निश्चित कीमतों पर खरीददारी करने के आदी हैं।
कीमतों में कटौती क्यों नहीं?
एफएमसीजी कंपनियों का तर्क है कि अगर वे जीएसटी में हुई बचत का पूरा लाभ कीमतों में कटौती करके देती हैं, तो ₹20 का पैकेट ₹18 में मिलेगा। लेकिन भारतीय ग्राहक विषम संख्याओं (odd numbers) जैसे ₹9 या ₹18 के बजाय, ₹5, ₹10, ₹20 के उत्पादों को खरीदना पसंद करते हैं। इस तरह की कीमतों में बदलाव से न केवल बिक्री पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, बल्कि यह उपभोक्ता व्यवहार (consumer behaviour) को भी प्रभावित कर सकता है। कंपनियां अपनी ब्रांड लॉयल्टी और बिक्री रणनीति को बिगाड़ना नहीं चाहती हैं।
उपभोक्ताओं को कैसे मिलेगा लाभ?
तो फिर जीएसटी कटौती का फायदा ग्राहकों को कैसे मिलेगा? कंपनियों ने इस समस्या का समाधान भी निकाला है। कीमतों में कटौती के बजाय, कंपनियां इन छोटे पैकेटों में उत्पाद की मात्रा (product quantity) बढ़ाएंगी। उदाहरण के लिए, एक ₹10 के बिस्किट पैकेट में अब पहले से कुछ ज्यादा ग्राम बिस्किट मिलेंगे। इस तरह, ग्राहक को उसी कीमत पर अधिक सामान मिलेगा और कंपनियों को भी अपनी मूल्य निर्धारण रणनीति (pricing strategy) बदलने की आवश्यकता नहीं होगी। यह कदम एक तरफ ग्राहकों को फायदा पहुंचाएगा, वहीं दूसरी तरफ कंपनियों के लिए व्यापार को आसान बनाए रखेगा।
सरकार की नजर
इस बीच, वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) इस पूरे मामले पर कड़ी नजर रख रहा है। मंत्रालय इस बात को सुनिश्चित करना चाहता है कि जीएसटी में कटौती का पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे। ऐसी खबरें हैं कि सरकार कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी कर सकती है कि वे इन बचत को ग्राहकों तक पहुंचाएं, चाहे वह कीमतों में कटौती के रूप में हो या फिर मात्रा में वृद्धि के रूप में।
