नई दिल्ली, 4 मई 2025 — टेक्नोलॉजी जगत में हलचल मचाते हुए गूगल पर यह आरोप लगे हैं कि वह अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) प्रणाली को ट्रेन करने के लिए वेब कंटेंट का उपयोग कर रहा है, भले ही कुछ वेबसाइटों और प्रकाशकों ने स्पष्ट रूप से इसके लिए ऑप्ट-आउट कर दिया हो।
गूगल की नीतियों के अनुसार, वेबसाइट संचालकों के पास यह विकल्प होता है कि वे अपने कंटेंट को AI प्रशिक्षण से बाहर रखें। इसके लिए उन्हें विशेष तकनीकी सेटिंग्स जैसे कि robots.txt का उपयोग करना होता है। लेकिन हाल ही में आई रिपोर्टों से पता चला है कि गूगल इन प्रतिबंधों को नजरअंदाज कर कुछ सामग्री को अब भी स्क्रैप और उपयोग कर रहा है।
AI विशेषज्ञों और डिजिटल अधिकार संगठनों ने इस स्थिति पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इससे न केवल कॉपीराइट का उल्लंघन होता है, बल्कि यह प्रकाशकों के डेटा की गोपनीयता और नियंत्रण को भी खतरे में डालता है।
गूगल की ओर से एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी केवल वही डेटा उपयोग में लाती है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है, और वह अपनी नीतियों के अंतर्गत ही काम करती है। हालांकि, आलोचकों का मानना है कि “पब्लिक डेटा” की परिभाषा को लेकर गूगल की व्याख्या में अस्पष्टता है।
इस मुद्दे ने डिजिटल कंटेंट के उपयोग और AI प्रशिक्षण की नैतिक सीमाओं को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। कई विशेषज्ञ मांग कर रहे हैं कि सरकारें और नियामक संस्थाएं इस संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश तय करें।
यह मामला आने वाले समय में AI विकास और डिजिटल अधिकारों की दिशा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।
